कवर्धा। मिट्टी के बर्तनों, दीपों और मटकों के साथ-साथ घरेलू साज-सज्जा, मूर्तियों को सुंदर आकृति और रंग देने वाले कुम्हारों के दिन अब बहुरने वाले हैं।
कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर के विशेष प्रयासों से कबीरधाम जिले के माटी कला से जुडे कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक वितरण करने की कार्य योजना शुरू गई है। छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री बालम चक्रधारी ने कबीरधाम जिले के 25 कुम्भकार परिवारों को इलेक्ट्रानिक चॉक वितरण किया।
पार्षद श्री अशोक सिंह ने मां दंतेश्वरी वार्ड में आयोजन कर कुम्भकारों को नई सौगात दी है। कवर्धा के सुरेश कम्भकार को इलेक्ट्रानिक चाक दिया गया है जिसे पाकर वह खुश नजर आए। इसी तरह जिले के अन्य 25 कुम्भकारों के चेहरे में मुस्कान देखी गई है। कड़ी मेहनत संघर्ष और कम मुनाफा ही कुम्हार की पहचान होती है लेकिन इलेक्ट्रानिक चाक पाने के बाद कुम्हारों के किस्मत अब बहुरने वाले हैं।
कम मेहनत में ज्यादा समान का निर्माण और ठीक-ठाक मुनाफा देने के लिए माटीकला बोर्ड द्वारा कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक मुहैया कराया जा रहा है। हाईटेक युग ने अब कुम्हारों के लिए भी राहत के दिन निकाल ही लिए है।
कबीरधााम जिले के दर्जनों परिवार में इलेक्ट्रानिक चाक पर दीपों व मिट्टी के बर्तनों का निर्माण कर सकेगा। बाजार में चाइनीज सामानों की पकड़ बढऩे से कुम्हारों के बुरे दिन शुरू हो गए थे। बची-कुची कसर को लॉकडाउन ने पूरा कर दिया।
नतीजा यह है कि कुम्हारों के सामने रोजी.रोटी का संकट खड़ा हो गया। कुम्हारों की मेहनत का फल उन्हें नहीं मिल पा रहा है। वजह साफ थी मिट्टी के चाक पर अधिक मेहनत करने पर भी दीपों की संख्या कम ही रह जाती थी।
बार-बार चाक घुमाने से शाम तक कुम्हार को ज्यादा परिश्रम करना पड़ता था। इलेक्ट्रानिक चाक कुम्हारों के लिए खुशखबरी लेकर आई है जिससे कम मेहनत में अधिक मिट्टी के बर्तन बनाए जा सकेंगे।
कुम्हारों के लिए इलेक्ट्रानिक चाक खास किस्म का बनाया गया है। यह चाक गोल ही होता है लेकिन इसे बिजली से चलाया जाता है। स्टैंडनुमा बॉडी पर बने चाक की रफ्तार को घटाने व बढ़ाने की भी सुविधा दी गई है। हाथ के चाक की अपेक्षा इस इलेक्ट्रानिक चाक पर तेजी से दीपक, मटकीख् सुराई समेत विभिन्न सामान बनाया जा सकता है। हाथ के चाक पर तीन घंटे में जितने दीपक बनते हैं उतने ही दीपक केवल एक घंटे में इस चाक पर बनाए जा सकते हैं।
बाजार मे मिट्ी के बर्तनों की मांग बढ़ी है
छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री बालम चक्रधारी ने कहा कहा कि सभ्यता के प्रारंभ से ही मानव ने अपने उपयोग के लिए सामान का निर्माण माटी से करना शुरू किया।
माटी मानव जीवन का अभिन्न अंग रहा है, लेकिन वर्तमान दौर में हम प्राकृति से दूर होते चले गए जिसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में माटी कला बोर्ड का उद्देश्य माटी शिल्पकार और कुम्हार के पारंपरिक कार्य शैली में आधुनिक तकनीक एवं उपकरणों के उपयोग से उनके जीवन में सुधार लाना है।
माटी से सामानों के दैनिक जीवन में उपयोग बहुत लाभकारी है। लोग एक बार फिर प्राकृति से जुडऩे के प्रति जागरूक हो रहे है। ऐसे में माटी से बने सामानों की मांग भी बढ़ रही है। अब जरूरत है कि आधुनिक बाजार के मांग के अनुरूप उत्पादन हो।