कवर्धा । महंगाई के दौर में परिवार के आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपने पति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए शासकीय योजनाओं से जुड़कर अपनी पहचान बनाते हुए आमदनी का निश्चित जरिया बनाना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है।
अपने घरेलू और सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के साथ अपने बैंकिंग कार्यों को समय पर करते हुए आसपास के लोगों को राहत पहुंचाना अपने आप मे महत्वपूर्ण हो जाता है। बात हो रही है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत बैंक सखी के रूप में कार्य करने वाली श्रीमती अलका दुबे की जो आज बैंक सखी के कार्य से ना केवल आर्थिक रूप से लाभान्वित हुई है अपितु लोगों के बीच में उनकी एक अमिट पहचान बन गई है।
विकासखंड कवर्धा के ग्राम पंचायत अमलीडीह में रहने वाली श्रीमती अलका दुबे विगत वर्षों से बैंक सखी के रूप में अपने आसपास के पांच ग्राम पंचायत समनापुर, रेंगाखारखुर्द, अमलीडीह, बरपेलाटोला एवं जोराताल में बैंकों की प्रतिनिधि के रूप में ग्रामीणों को गांव में ही शासकीय योजनाओं की राशि हितग्राहियों को आधार बेस्ड पेमेंट करने की सेवाएं दे रही है।
बैंक सखी अलका दुबे द्वारा वृद्धावस्था पेंशन योजना, निराश्रित पेंशन योजना, विकलांग पेंशन योजना के साथ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत मजदूरी भुगतान, गोधन न्याय योजना के हितग्राही, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के हितग्राहियों का भुगतान ग्रामीणों को उनके खातों के माध्यम से आधार आधारित पेमेंट बायो मेट्रिक डिवाइस की सहायता से गांव में ही ग्रामीणों को उपलब्ध करा रही है। इस कारण ग्रामीणों को शहर तक बैंकों में आकर लाइन लगाते हुए दिनभर रहने की जरूरत अब नहीं रही। ग्रामीण हितग्राहियों को उनके गांव में ही श्रीमती अलका दुबे द्वारा शासकीय योजनाओं की राशि उपलब्ध करा दिया जाता है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, मोबाइल रिचार्ज, टीवी रिचार्ज एवं बिजली बिल भुगतान जैसे अनेक कार्य ग्रामीणों के लिए अलका दुबे द्वारा किया जा रहा है और इन सब कार्यों के एवज में कमीशन की राशि प्राप्त होती है जो बैंक सखी की आमदनी है। बैंक सखी श्रीमती अलका दुबे अपने कार्य के बारे में बताती हैं कि मैं बहुत ही सामान्य परिवार से हूं। अपने घरेलू कार्यों को करने के साथ-साथ मैं हमेशा से सोचती रही की किसी ऐसे काम से जुड़ा जाए जिससे कुछ आमदनी हो और अपने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियां भी उठा सकु।
शुरुआती दौर में मेरे घरवाले बिल्कुल तैयार नहीं थे की मैं बाहर जाकर कोई काम करू। लेकिन समहू गठन के दौरान जिला और जनपद पंचायत के अधिकरियों एवं मेरे द्वारा घरवालों को समझाने के बाद सब तैयार हो गए जिसके कारण मैं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के समूह से जुड़ पाई।
गत वर्ष बैंक सखी के रूप में मुझे विभाग द्वारा आईडीबीआई बैंक कवर्धा शाखा से जोड़कर बायोमेट्रिक डिवाइस उपलब्ध कराया गया। आज मैं अपने निवास गांव अमलीडीह और आसपास के और चार अन्य गांव में बैंक सखी के रूप में काम कर रही हूं। मेरा काम शासकीय योजनाओं की राशि ग्रामीणों को उनके घरों में जाकर देना होता है इसके साथ ग्रामीणों को अन्य बैंकिंग सेवा जैसे राशि जमा, निकासी एवं राशि का हस्तांतरण कार्य किया जाता हैं। इस काम से मुझे अच्छी खासी आमदनी कमीशन के रूप में होने लग लगा है ।
अब मेरे द्वारा एक दिन में लगभग 60 से 70 हजार रुपए का लेनदेन किया जा रहा है। उन्होंने बताया की वर्तमान में मुझे लगभग 8 से 10 हजार रुपए तक प्रतिमाह कमीशन के रूप में प्राप्त होता है। गत वर्ष से मेरे द्वारा अब तक 3 करोड़ 20 लाख रुपए से अधिक का ट्रांजैक्शन किया गया है जिसके एवज में मुझे 2 लाख 45 हजार रुपए कमीशन के रूप में प्राप्त हो गया है।
इन पैसों से मेरे द्वारा अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सहयोग करने का मौका मिल है। मेरी आमदनी से मैं अब अपने दोनों बच्चों को प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ा रही हु। बिटिया के नाम से सालाना बीमा ली हु। स्कूटी का किस्त चुका रही हु तो वही अपने घर के लिए वाशिंग मशीन ख़रीदी हु और अपने घर के जरूरत को पूरा करने में सहयोग करती हूं।
मुझे खुशी होती है कि मैं अपने आसपास के निराश्रितों एवं ग्रामीणों को उनके घरों में जाकर शासकीय योजनाओं की राशि का भुगतान घर पहुंच सेवा के रूप में दे रही हु। मेरा परिवार मेरे काम से खुश है साथी मेरे पति भी मुझे पूरा सहयोग देते हैं और आस-पास के गांव में मुझे स्वयं लेकर जाते हैं। अब हमारी आर्थिक स्थिति पहले से और बेहतर हो गई है।
बिहान योजना से ग्रामीण महिलाओं को मिली नई पहचान
सीईओ जिला पंचायत बैंक सखी के कार्यों के संबंध में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजय दयाराम के. ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आजीविका संवर्धन की गतिविधियों से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त करना है।
समूह के रूप में महिलाओं को संगठित कर जीविकोपार्जन की अलग-अलग गतिविधियों से जोड़ना है। श्री विजय दयाराम के. ने आगे बताया कि जिले में बैंक सखी के रूप में 149 महिलाएं कार्य कर रही हैं। गत वर्ष से अब तक बैंक सखियों द्वारा 113587 लेन देन किया गया है, जिसमें विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को 13 करोड़ 14 लाख 83 हजार रुपए से अधिक का भुगतान किया गया।
बैंकिंग लेनदेन के एवज में बैंक सखियों को कमीशन की राशि प्राप्त होता है। इस तरह ग्रामीणों को बैंकिंग कार्य के लिए शहर आने की जरूरत नहीं पड़ती, उनके गांव में ही शासकीय योजना की राशि घर पहुंच सेवा के रूप में उपलब्ध हो जाता है और इस कार्य से जुड़ी दीदियों को आर्थिक लाभ होता है।
कोरोना महामारी के हालात में ज़िले की बैंक सखियाँ बनी राहत का केंद्र कोरोना महामारी के समय बैंक सखियाँ ग्रामीणों के लिए बहुत मददगार सिद्ध हुई है। गत वर्ष से अब तक पूरे ज़िले में 13 करोड़ 14 लाख 83 हजार रुपए से अधिक का भुगतान ग्रामीणों को उनके गांव अथवा घरों में किया गया। वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान जहां बैंक अपनी सेवाएं नहीं दे पा रहे थे तब माह अप्रैल में 1 करोड़ 69 लाख रुपए से अधिक, मई में 1 करोड़ 72 लाख रूपए से अधिक, जून माह में 2 करोड़ 14 लाख से अधिक, जुलाई माह में 98 लाख रुपए से अधिक का भुगतान हुआ है।
इसी तरह वर्ष 2021 में हुए लॉकडाउन के दौरान भी माह अप्रैल में 91 लाख 71 हजार रूपए से अधिक, मई माह में 87 लाख 95 हजार रुपए से अधिक एवं जून माह में 1 करोड़ 35 लाख 54 हजार रुपए से अधिक का भुगतान हुआ है जो अब भी चल रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग कार्य बैंक सखियों के माध्यम से होने के कारण ही लॉकडाउन में ग्रामीणों को मनरेगा का मजदूरी भुगतान, विभिन्न पेंशन योजना के हितग्राहियों का भुगतान या फिर गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों का भुगतान समय पर मिला है जो ग्रामीणों के साथ बैंक सखियों के लिए भी फायदेमंद रहा।