बीजापुर 01 जून 2021
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी अंतर्गत बीजापुर जिले के विभिन्न गौठानों में 1730 क्विंटल वर्मी खाद उत्पादन किया है। जिसमें 1260 क्विंटल वर्मी खाद किसानों द्वारा क्रय किया गया है। वर्तमान में 444 क्विंटल वर्मी खाद विक्रय हेतु उपलब्ध है। जिसे एक हजार रूपये प्रति क्विंटल की दर से वर्मी खाद अपने नजदीकी लैम्पस या सोसायटी से खरीद सकते है। उक्त बात की जानकारी श्री पीएस कुसरे उप संचालक कृषि बीजापुर द्वारा दिया एवं वर्मी खाद के बारे में किसान भाईयों को बताया कि वर्मी खाद पोषक पदार्थो से भरपूर एक उत्तम जैविक खाद है, यह केंचुआ द्वारा गोबर एवं वनस्पतियों, कचरे आदि खाकर बनाया जाता है। केंचुआ द्वारा निगला हुआ गोबर, घास-फूस कचरा आदि कार्बनिक पदार्थ इनकी पाचन तंत्र से पिसी हुई अवस्था में बाहर आता है, उसे केंचुआ खाद कहते है। श्री कुसरे ने केंचुआ खाद से होने वाले लाभ के बारे में बताया कि केंचुआ खाद में गोबर खाद एवं रासायनिक खाद की अपेक्षा अधिक सूक्ष्म एवं गौण पोषक तत्व पाये जाते हैं।
इसके उपयोग से मिट्टी की उपजाऊपन एवं उर्वरा शक्ति बढ़ती है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव पौधों की वृद्धि पर पड़ता है। मिट्टी में भू-क्षरण कम करता है एवं जलधारण क्षमता में सुधार करता है। खरपतवार व कीड़ों का प्रकोप कम होता है, पौधों की रोग रोधक क्षमता में वृद्धि होता है। इसमें पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पाये जाते हैं, जबकि रासायनिक उर्वरकों में केवल एक या दो पोषक तत्व पाये जाते है और फसलों के लिए सम्पूर्ण पोषक खाद है।
केंचुआ खाद की उपयोग विधि एवं मात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि केंचुआ खाद को सामान्यतः खेत की तैयारी के समय अंतिम जुताई से पूर्व खेत में मिलाया जाता है। जैसे चावल/धान, गेंहू, मक्का ज्वार में 2 से 2.5 टन प्रति हेक्टेयर, मूंगफली, अरहर, उड़द, मंूग में 2 से 2.5 टन प्रति हेक्टेयर, सब्जियों में 2 से 2.5 टन प्रति हेक्टेयर और साथ ही गमलों में 250 ग्राम प्रति गमला प्रति वर्ष उपयोग किया जाता है।
Source: http://dprcg.gov.in/