रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप कृषि शिक्षा प्रणाली’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में शामिल हुई। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रीसीजन फार्मिंग केन्द्र, अक्ति जैव विविधता संग्रहालय का अवलोकन किया और कृषि के नये तकनीकों की जानकारी ली। इसके अलावा राज्यपाल ने स्व-सहायता समूहों के उत्पादों तथा कृषि के नवीनतम तकनीक पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। यह प्रदर्शनी कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्रों, महाविद्यालयों एवं अनुसंधान केन्द्रों द्वारा लगाई गई थी।
राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर नये-नये क्षेत्रों में अनुसंधान किये जा रहे हैं, जो कि सराहनीय है। इन अनुसंधानों का अधिकतम लाभ किसानों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा बाजार की मांग के अनुरूप उन्नत बीज, कृषि सेवा केन्द्रों से उचित दर पर विक्रय करना चाहिए, जिससे विश्वविद्यालय भी आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सके।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफ़ारिशों के अनुरूप विश्वविद्यालय अपने कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में भी संशोधन कर उसे रोजगारोन्मुखी बनाने जा रहा है, यह सराहनीय है। नवीन संशोधित पाठ्यक्रम में प्रायोगिक शिक्षा, विद्यार्थियों में दक्षता, क्षमता निर्माण, कौशल अर्जन, विशेषज्ञता एवं आत्मविश्वास विकसित करने हेतु नए विषय सम्मिलित किया जाना चाहिए ताकि हमारे कृषि स्नातक अपना स्वयं का व्यवसाय आरम्भ कर सकें और ‘रोजगार याचकों के बजाय रोजगार प्रदाता’ बन सकें। उन्होंने कहा कि राज्य के तीनों विश्वविद्यालय आपस में समन्वय से कार्य करते हुए अपने-अपने विश्वविद्यालय के शिक्षा पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षा प्रणाली विकसित एवं क्रियान्वित करें, जिससे विद्यार्थियों को स्वयं का रोजगार एवं व्यवसाय स्थापित करने में सफलता मिले।
इस अवसर पर राज्यपाल को जांजगीर-चांपा के बुनकर द्वारा अलसी के रेशे से बनीं जैकेट भेंट की गई। कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि पंचाग और कृषि दर्शिका का विमोचन किया गया। साथ ही कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए महिला स्व-सहायता समूहों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.एस. सेंगर, प्रबंध मण्डल के सदस्य श्री बोधराम कंवर, श्री आनंद मिश्रा, श्रीमती वल्लरी चन्द्राकर सहित विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण उपस्थित थे।