कोण्डागांव । आजादी के बाद वर्षों बीत जाने के उपरांत वर्तमान में देश के सामने विकसित समाज एवं अविकसित समाज के बीच एक लकीर खींच गयी है। जहां विकसित समाज इंडिया एवं अविकसित समाज भारत के रूप में कहा जाता है। इस लकीर को मिटाने राज्य सरकार द्वारा लगातार विकास हेतु विद्युत, सड़कांे, स्वच्छ पेयजल आदि सुविधाएं अंतिम छोर तक पहुंचाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विकास का आधार बनाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। ताकि गांवों को आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बनाया जा सके। इसके तहत् ग्रामीण इलाकों में विकास का आधार माने जाने वाली विद्युत को घर-घर पहुंचाकर उन्हें रौशन करने का प्रयास राज्य शासन द्वारा किया जा रहा है।
कोण्डागांव जिला एक आदिवासी बहुल्य नक्सल प्रभावित जिला होने के कारण यहां जटिल भौगोलिक परिस्थितियों एवं अतिवादी शक्तियों के प्रभाव के कारण विद्युत लाईनों का विस्तार 80 गांवों के मजरों एवं टोलों तक किया जाना संभव नहीं हो पाया था। जिससे ग्रामीणों को अब तक विद्युत का अधिकार प्राप्त नहीं हो सका था। वे अब तक अंधेरों में रहने के लिए मजबूर थे। परंतु विगत् वर्षों में शासन द्वारा गांवों के विकास के लिए हर गांव, मजरों, टोलों एवं घरों तक विद्युत पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। घर-घर तक विद्युत पहुंचाने किया गया सर्वे इसके लिए जिले के 80 ग्राम पंचायतों के अंदर आने वाले ग्रामों, मजरों-टोलों का चयन कर विद्युतीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी थी। इन मजरों टोलों में कई ऐसे गांव थे जो ग्राम पंचायत मुख्यालय से बहुत दूरी पर स्थित थे, कई ऐसे गांव थे जहां घर दूर-दूर स्थित होने के साथ पहाड़ियों की चोटियों पर तो कोई गहरी घाटियों में तो कही अतिवादी शक्तियों के प्रभाव से कार्य प्रभावित होते थे, ऐसे में हर घर तक विद्युत की लाईनें पहुंचाना एक कठिन कार्य हो जाता था। जिसे देखते हुए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा सर्वे कराकर विद्युतीकरण हेतु रणनीति तैयार की गयी। 41 नक्सल प्रभावित ग्राम हुए रौशन पिछले डेढ़ वर्षों में इस रणनीति के अनुसार कार्य करते हुए विकट परिस्थितियों में भी विद्युत विभाग द्वारा विद्युतीकरण कार्य जारी रखते हुए इन गांवों के 8509 बीपीएल हितग्राहियों तक विद्युत लाईनें पहुंचाकर उन्हें लाभ पहुंचाया।
इन गांवों में से 41 नक्सल प्रभावित गांवों में भी बिजली पहुंचायी गयी। इनमें कुधुर, दिगानार, घोड़ाझर, सिधावंड, मांझीचेरा, नालाझर, मिड्डे, कुधारवाही, उपरछिन्दली, हरवाकोदा, बोड़को, चैड़ंग, टेमरूगांव, माड़ानार, सोड़मा, धनोरा, बेड़मामारी, करमरी, बेलगांव, पड्डे, सिलाटी, आलोर, कुम्हारगांव, आमगांव, तुर्रेबेड़ा, बड़ेओड़ागांव, छोटेओड़ागांव, उपरबेंदी, आण्डरी, नारना, तरईबेड़ा, खुटपदर, तुतारीबेड़मा, बोकराबेड़ा, पारोण्ड, बाड़ागांव, बुईकीजुगानार, बिन्झ,े कोनगुड़, धुदबेड़मा, बड़थेमली के मजरे-टोलों एवं अविद्युतिकृत पारों को विद्युतिकृत किया गया। अंधेरों से मुक्ति पाकर ग्रामीण चल रहे विकास की राह गांवों के प्रत्येक मजरे-टोले तक विद्युत पहुंचने से ग्रामीणों को अंधेरों से मुक्ति पाने पर बहुत ही उत्साहित हैं। 8509 बीपीएल परिवारों को एकल बत्ती कनेक्शन मिलने से रियायती दरों पर उन्हें विद्युत का अधिकार प्राप्त हो रहा है साथ ही खेतों में बिजली के पहुंचने से वनांचलों के कृषक अब आधुनिक कृषि से जुड़कर विकास की राह में आगे बढ़ रहे है। इस संबंध में कार्यपालन अभियंता सीएसपीडीसीएल आर के सोनी ने बताया कि इन क्षेत्रों में प्रत्येक ग्राम पंचायत तक विद्युत लाईने पहुंचायी जा चुकी है परंतु कई पारे, मजरे-टोले पहुंच विहिन क्षेत्रों में होने के कारण विद्युत पहुंचाना चुनौतिपूर्ण कार्य था। इन क्षेत्रों के निवासरत लोगों को अब विद्युत की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। यहां के किसान अब पम्पों के माध्यम से खेतों मेें सिंचाई कर दो फसलों का भी उत्पादन कर रहे है।