मशरूम उत्पादन से मिलेगी आमदनी के नये मौके
स्वाद मे जायकेदार होने के अलावा मशरूम अपने स्वास्थ्य वर्धक गुणो के कारण भारतीय खान-पान मे अलग जगह बना चुका है। खाद्य् विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिको का मानना है कि मशरूम मे मौजुद प्रोटीन, फाइबर, विटामिन-बी, सेलेनियम, जिंक जैसे पौष्टिक तत्व शरीर में विभिन्न बीमारियों के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित करते है वहीं शुगर एवं उच्च रक्तचाप से जुझ रहे मरीजो के लिए यह एक आदर्श आहार साबित हुआ हैै। मोटापा एवं कोलेस्टरॉल कम करने में भी मशरूम का सेवन लाभदायक होता है।
यूं तो बस्तर संभाग की जलवायु मशरूम उत्पादन के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है और मशरूम की इस बहुउपयोगिता को देखते हुए जिले मे कृषि विभाग द्वारा स्थानीय कृषकों में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्ेदश्य से ऐक्सटेंशन रिर्फाम आत्मा योजना अंतर्गत कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इस क्रम में वि0ख0 केशकाल अतंर्गत कृषको को प्रशिक्षण देने के साथ साथ इसके व्यवसायिक उत्पादन को ध्यान मे रखते हुए ब्लॉक स्तरों में स्व-सहायता समुह की महिलाओं के अलावा बेरोजगार युवक-युवतियों को इसके उत्पादन प्रकिया की बारीकियों से अवगत कराया जा रहा है।
मशरूम की उपज- कम मेहनत में बड़ा मुनाफा
मशरूम सेहत के लिए फायदेमंद तो होता ही है और तो और इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि कम लागत मेहनत एवं न्युनतम पुजीं में इसकी खेती बखुबी की जा सकती है और इसे व्यवसाय के रूप में अपनाया जा सकता है। इस संबध में असिस्टेंट मैंनेजर (आत्मा योजना) केशकाल सुश्री साधना नेताम ने बताया कि मुलतः मशरूम उत्पादन के लिए कच्चा माल के तहत् मशरूम स्पॉजं, (बीज) गेंहु व धान के पैरे की कुट्टी (लगभग 10 किलो), फार्मेलिन/ चुना उपचार हेतु, कवकनाशी, पॉलिथीन बैग (साइज 16/21) की आवश्यकता होती और इसके उत्पादन की तकनीकी विधि अनुसार पैरे के 5 -10 इंच की कृट्टी कर ली जाती है।इसकें पश्चात 100 लीटर पानी मे 1 से 2 किलोग्राम चुना या 120 मि.ली. फॉर्मेलिन मिलाया जाता है।फिर अच्छे से घोलने के बाद 10 किलोग्राम पैरे की कुट्टी डालकर रातभर ढ़क कर छोड़ दिया जाता है। दूसरे दिन सुबह उसे छांव में अतिरिक्त नमी सोेेखने हेतु सुखा दिया जाता है। कुट्टी में नमी मापने हेतु यह ध्यान देेेेेेेना जरूरी है उसे दबाने पर नही पानी नही छुटना चाहिए पंरतु हाथ में हल्का सा नम अवश्य होना चाहिए। इस प्रकार पैरे की कुट्टी तैयार होने के बाद उसे एक जगह पर ढे़र बना कर रखा जाता हैं फिर से उसे फॉर्मेलिन के घोल मे डुबा कर पैकिंग की प्रक्रिया शुरू की जाती है और पॉलिथिन बैग मे पैरे कुट्टी की एक परत फिर बीज की एक परत के साथ 4 से 5 लेयर डालकर पालिथिन बैग को कड़क बांध दिया जाता है और सभी बैग्स मे 18-20 छेद किये जाते है ताकि आक्सीजन का आदान प्रदान हो सके। बैग तैयार होने के पश्चात उसे एक बंद कमरे मे उपचारित करने के बाद (फॉर्मेलिन का स्प्रे) रेक व रस्सी की सहायता से लटकाया जाता है जहां 15 से 20 दिन की अंतराल मे मशरूम पॉलिथिन बैगो मे आने लगते है। सुुश्री नेताम ने यह भी बताया की पॉलिथिन बैगो मे समय-समय पर आवश्यकता अनुसार कीट बीमारी आदि से नियंत्रण हेतु कीट एंव कवकनाशक का भी उपयोग किया जा सकता हैं वे बताती हैं कि इस प्रकार एक किलो स्पॉजं से 10 बैग तैयार किये जाते है। एक बैग में 100 ग्राम बीज की ही मात्रा लगती है इस प्रकार हमारे एक बैग का खर्च 20 से 30 रूपये बैठता है और अगर उत्पादन की बात की जाये तो एक बैग से कम से कम दो किलो से अधिकतम 5 किलो उत्पादन लिया जा सकता है और यह दो से 3 माह की फसल होती है।
युवाओं का मिल रहा अच्छा प्रतिसाद
साधना नेताम ने यह भी बताया कि केशकाल विकासखण्ड में उक्त योजना के तहत 10 किसानो के अलावा महिला स्व-सहायता समुहों इच्छुक युवाओं को भी मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इस प्रशिक्षण केन्द्र में केशकाल के अलावा बटराली, पीपरा, सिंघनपुर, आंवरी, कोरकोटी, जामगांव, कोहकामेंटा ग्रामो से भी महिलायें शामिल हो रही है। तैयार मशरूमो के विक्रय के सबंध मे उन्होने जानकारी दी कि 1 किलो मशरूम का बाजार भाव 200 रूपये है जिसकी खपत स्थानीय हाट बाजारो में आसानी से हो जाती है और एक बैग से एक बार मे लगभग 500 रूपये मूल्य के मशरूम उत्पन्न होते है। इसके अलावा तैयार मशरूमो से अचार, बड़ी एवं मशरूम पाउडर, सूखे मशरूम को प्रोसेस कर भी स्थानीय बाजारो में उपलब्ध कराया जा सकता है और इस प्रकार मशरूम उत्पादन में महिलाओं और युवाओं के लिए स्वरोजगार के लिए बेहतर संभावना है। फिलहाल उनके प्रशिक्षण केन्द्र मे ओयस्टर, व्हाइट मिल्की वे प्रकार के मशरूम तैयार किये जा रहे है।
इस प्रकार वर्तमान के कृषि परिदृश्य में नवाचारी कृषि की महत्ता दिनो दिन बढ़ रही है और मशरूम का उत्पादन एक बेहतरीन विकल्प के रूप में उभरा है।खासकर बेरोजगार युवक, युवतियों और घरेलु महिलाओ के लिए। और यही कहा जा सकता है कि मशरूम की खेती से भी उन्नति की राहे खुल सकती है और कृषि को नई दिशा देने मे इसे एक सकारात्मक पहल कहा जा सकता हैं कोई आश्चर्य नही कि क्षेत्र की युवा इसे एक रोजगार के नये अवसर के रूप मे देख रहे है।