रायपुर । दूसरी कोरोना लहर में बड़ी संख्या में मौतें, बेड और ऑक्सीजन का संकट तथा डॉक्टर-स्टाफ की कमी जैसे काफी खराब अनुभवों के बाद प्रदेश सरकार ने तीसरी लहर के लिए तीन गुना बड़ी तैयारी पूरी कर ली है। दूसरी लहर के खात्मे के तुरंत बाद सरकार ने बेड और ऑक्सीजन समेत संसाधनों के लिए जिलों को कुल 100 करोड़ और विभागीय तौर पर 285 करोड़ (कुल 385 करोड़ रुपए) जारी किए थे, जिसका उपयोग पूरा कर लिया गया है।
ताजा स्थिति ये है कि प्रदेशभर के सभी 170 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों यानी ग्रामीण स्तर पर पहली बार कोरोना के इलाज के लिए 2 से 5 बेड तक के आईसीयू के ऑक्सीजन बेड तैयार कर लिए गए हैं। दूसरी लहर में बेड के भारी संकट की वजह से पूरे प्रदेश में कोरोना के लिए बेड 20 हजार से बढ़कर 31 हजार हो गए हैं। वेंटिलेटर 280 थे, जिनकी संख्या बढ़ाकर 1024 कर ली गई है। सरकारी तौर पर डाक्टर और स्टाफ मिलाकर 18458 थे, जो बढ़कर 20405 हो गए हैं। सबसे बड़ी उपलब्धि ऑक्सीजन प्लांटों की है। सभी जिला अस्पतालों के साथ-साथ छोटे-छोटे सेंटरों में छोटे ऑक्सीजन प्लांट की संख्या 112 हो चुकी है, जो दूसरी लहर के अंत तक केवल 6 ही थे। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में दूसरी लहर के पीक के गुजरने के बाद जून जुलाई से ही तीसरी लहर की तैयारियां शुरु कर थी। इसके लिए जिलों को करीब 100 करोड़ और सीजीएमएससी को 285 करोड़ का बड़ा बजट मरीजों के लिए इलाज के लिए संसाधन जुटाने के लिए दिए गए थे।
इस बजट से प्रदेश में 3ज्यादातर फोकस ऐसे स्थायी संसाधन जुटाने के लिए किया गया कि अगर कोरोना की तीसरी लहर न आए, तब भी चिकित्सा सुविधा में इनका इस्तेमाल हो सके। क्योंकि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में ग्रामीण इलाकों में इलाज के बंदोबस्त नहीं रहना एक बड़ी दिक्कत बनकर उभरा था। ताजा स्थिति ये है कि तीसरी लहर से पहले ग्रामीण और कस्बाई इलाके में 170 से अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी ऑक्सीजन की सुविधा वाले 15-15 बिस्तरों की अतिरिक्त व्यवस्था तैयार कर ली गई। प्रदेश के तकरीबन सभी 792 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 5-5 ऑक्सीजन कंसट्रेटर, 15-15 ऑक्सीजन बेड, 15 जंबो सिलेंडर और 5-5 आईसीयू बेड का सेटअप तैयार कर लिया गया है, ताकि मरीज वहीं भर्ती किए जाएं और इलाज हो सके।