अक्सर ये देखने में आता है कि एक व्यक्ति एक से ज्यादा बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करता है। इसके लिए उसे समय समय पर आगाह भी किया जाता है कि आप एक ही बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करें। एक ही बैंक अकाउंट के इस्तेमाल के कई सारे फायदे हैं तो वहीं एक से ज्यादा बैंक अकाउंट होने के कुछ नुकसान भी सामने आते रहे हैं। एक से ज्यादा बैंक अकाउंट होने का सबसे बड़ा नुकसान आपको मिनियम बैंक बैलेंस के नाम पर होगा। यदि आपके पास एक से ज्यादा बैंक अकाउंट है तो आपको हर अकाउंट में मिनियम बैंक बैलेंस रखना होगा। इसके अलावा सिंगल बैंक अकाउंट से टैक्स रिटर्न करना आसान होता है। तो चलिए जानते हैं एक से ज्यादा बैंक अकाउंट के नुकसान के बारे में…
अगर किसी सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट में एक साल तक किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं किया जाता है तो वह Inactive Bank Account में बदल जाता है. दो सालों तक ट्रांजैक्शन नहीं होने पर वह Dormant Account या Inoperative में बदल जाता है. ऐसे बैंक अकाउंट के साथ फ्रॉड की संभावना बढ़ जाती है. बैंकर्स का कहना है कि इन एक्टिव अकाउंट के साथ इंटर्नल और एक्सटर्नल फ्रॉड के चांसेज सबसे ज्यादा होते हैं. ऐसे में इसका डिटेल सेपरेट लेजर में रखा जाता है.
अगर आपका मल्टीपल बैंक अकाउंट है तो हर महीने हजारों रुपये केवल मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने में लग जाएंगे. इससे आपके इन्वेस्टमेंट पर असर होता है. जिस पैसे पर आपको कम से कम 7-8 फीसदी का रिटर्न मिलना चाहिए, वह पैसा आपका मिनिमम बैलेंस के रूप में रखा रहेगा. इसी पैसे को सही जगह निवेश करने पर 7-8 फीसदी तक का रिटर्न आसानी से पाया जा सकता है.
हर बैंक का अपना अलग-अलग मेंटिनेंस चार्ज, डेबिट कार्ड चार्ज, सर्विस चार्ज, मिनिमम बैलेंस चार्ज होता है. यानी जितने बैंकों में अकाउंट होंगे, आपको उसके अलग-अलग चार्जेज देने होंगे. साथ ही अगर मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं करते हैं तो इसके बदले बैंक तगड़ा चार्ज वसूलते हैं.
टैक्स एक्सपट्र्स जे अनुसार, अगर सिंगल बैंक अकाउंट है तो रिटर्न फाइल करना आसान होता है. क्योंकि आपकी कमाई की पूरी जानकारी सिंगल अकाउंट में राहती है. अलग-अलग बैंक अकाउंट रहने से यह कैलकुलेशन मुश्किल और बड़ा हो जाता है. ऐसे में टैक्स विभाग आपको नोटिस जारी सकता है. ऐसी ही समस्याओं को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने इस बजट में नए सिस्टम की घोषणा की थी.
इस नए नियम के तहत अब सैलरी इनकम के अलावा दूसरे सोर्स से होने वाली इनकम, जैसे डिविडेंड इनकम, कैपिटल गेन इनकम, बैंक डिपॉजिट इंट्रेस्ट इनकम , पोस्ट ऑफिस इंट्रेस्ट इनकम की जानकारी पहले से भरी होगी. अभी तक टैक्सपेयर्स को इसका अलग से कैलकुलेशन करना होता था. इससे कई बार भूल जाने के कारण उसे परेशानी होती थी. अब ये तमाम जानकारी पहले से भरी हुई आएगी. यह जानकारी PAN कार्ड की मदद से हासिल की जाएगी.