- दिव्यांग दम्पत्ति के लिए आर्थिक सहारा बनी योजना
गरियाबंद । दिव्यांगों के जीवन में हर मोड़ पर चुनौतियां होती है, लेकिन साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति के चलते वे हर बाधा को पार कर समान्य जीवन जीते है। दिव्यांगजनों को उस समय और एक-दूसरे का सहारा मिल जाता है जब राज्य शासन की योजना से विवाह पश्चात उन्हें 50-50 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि मिलता है। छुरा विकासखण्ड अंतर्गत गांव मुड़ागांव के दिव्यांग छत्तरसाय और उनके दिव्यांग पत्नि राधाबाई को दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन योजना अंतर्गत एक लाख रूपये का चेक प्राप्त हुआ। यह राशि उनके जीवन को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।
शासन की इस योजना की सराहना करते हुए छत्तरसाय और राधाबाई ने कहा कि समाज कल्याण विभाग की ओर से मिली यह राशि हमारे जीवन की आर्थिक स्थिति को सुधारने में कारगर साबित होगा। छत्तरसाय ध्रुव पूर्णतः दृष्टीबाधित दिव्यांग है, लेकिन अपने मजबूत हौसले के बदौलत वे दिव्यांग महाविद्यालय माना कैम्प में बी.पी.ए. संगीत कोर्स का छठवे सेमेस्टर का छात्र है। उन्होंने कहा कि इस राशि से वे स्वरोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बनना चाहता है। इसी तरह ग्राम करपी दादर के दिव्यांग रोहित कुमार ध्रवु को भी इस योजना के तहत 50 हजार रूपये का चेक मिला। रोहित ने बताया कि वे राजमिस्त्री का कार्य करते है। ऐसे में यह राशि आर्थिक सम्बल प्रदान करेगा। रोहित ने शासन की इस योजना के लिए धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया है। उल्लेखनीय दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत दिव्यांग युवक-युवती के विवाह में प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का प्रावधान है। योजना के प्रावधानों के अनुसार यदि विवाहित जोड़े में यदि वर एवं वधु दोनों दिव्यांग हैं तो उन्हें एक लाख रूपये प्रोत्साहन राशि दिया जाता है। जबकि विवाहित दम्पत्ति में से कोई एक दिव्यांग हो, तो उस दम्पत्ति को 50 हजार रूपये प्रोत्साहन राशि दिया जाता है। योजना के अनुसार 40 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्ति योजना के लिये पात्र है। विवाह के लिए अधिकतम आयु सीमा 18 से 45 वर्ष तक होनी चाहिए तथा यह किसी तरह से आयकर दाता की श्रेणी में नही होने चाहिए।