गरियाबंद । छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में तेल नदी पुल बनाने के लिए अधिगृहीत जमीन के मुआवजे की दूसरी किश्त नहीं दी गई। इस पर मंगलवार को किसानों का गुस्सा भड़क उठा। किसानों ने सुबह से ही पुल पर जाम लगा कर नवरंगपुर (ओडिशा) को जोड़ने वाला मार्ग बंद कर दिया। इसके चलते 36 गांवों से संपर्क टूट गया है। साप्ताहिक बाजार, राशन का सामान और स्कूलों तक ग्रामीण और बच्चे नहीं पहुंच पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अफसरों का कहना है कि कोई बकाया नहीं है।
देवभोग के कुम्हडई खुर्द और कुम्हडई कलां के 28 किसान परिवारों की करीब 11 साल पहले तेल नदी पर पुल बनाने के लिए जमीन शासन ने अधिगृहित की थी। किसानों का आरोप है कि अधिगृहण के इतने साल बीत जाने के बावजूद उन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिला है। उन्हें पहली किश्त दी गई है, लेकिन दूसरी किश्त के 63 लाख रुपए से ज्यादा बकाया है। यह राशि प्रशासन के खाते में भी जमा है, इसके बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में प्रशासन से सितंबर में बात की थी। तब उन्हें 28 नवंबर तक राशि भुगतान करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन आज तारीख तक कोई चेक नहीं मिला है और न ही खाते में रुपए डाले गए हैं। किसानों ने मुआवजा राशि की दूसरी किश्त नहीं मिलने तक जाम जारी रखने की चेतावनी दी है। दूसरी ओर जाम के चलते वाहनों की लंबी लाइन लग गई है। अफसर मौके पर पहुंचे हैं और किसानों को मनाने में जुटे हैं।
प्रशासन के खाते में पड़े रुपए नियमों की चक्कर में फंस गए हैं। देवभोग SDM टीआर देवांगन ने बताया कि किसानों को पुराने रेट से पहले ही मुआवजा राशि का भुगतान किया जा चुका है। शासन की ओर से मिले रुपयों को बांटने के लिए जिला कलेक्टर से सलाह मांगी थी। उन्होंने शासन से पूछा तो वहां से नए रेट से भुगतान पर रोक लगा दी है। इसके चलते वितरण नहीं किया जा सकता है। शासन ने पुनर्वास नीति के तहत अनुदान देने के निर्देश दिए हैं।