रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना के माध्यम से ग्रामीणों की ऐसी खुशियां भी पूरी हो पा रही हैं जो सामान्यतः विवाह, त्यौहार जैसे मौके पर ही पूरी हो पाती है। यदि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न हो तो इन खुशियों को हासिल करने के लिए अमूमन कर्ज का सहारा लेना पड़ता है। गोधन न्याय योजना ने हजारों गोपालकों, पहटियों और महिलाओं के जीवन में अतिरिक्त आय का जरिया बनने के साथ ही उन्हें अपने रोजमर्रा की जरूरतों के साथ-साथ खुशियों को भी पूरा करने का अवसर उपलब्ध कराया है।
दुर्ग जिले के आगेसरा में पहाटिया के रूप में काम कर रहे भोजराम यादव ने बताया कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से उन्होंने पिछले साल 27 हजार रुपए गोबर बेचकर प्राप्त किये। इस राशि का सदुपयोग किस तरह हो सकता है यह विचार आया। उन्होंने अपनी पत्नी के लिए कान का टाप्स खरीदा, यह चौदह हजार रुपए में आया। भोजराम ने बताया कि निशानी के रूप में मैंने इसे दिया। यह हमेशा के लिए यादगार रहने वाली चीज होती है और स्त्रीधन होता है। भोजराम ने बताया कि मैं ऐसी चीज नहीं लेना चाहता था जिसे मैं खर्च कर खत्म कर दूँ अपितु ऐसी चीज चाहता था, जो हमेशा रहे और जिसकी कीमत भी बढ़ती रहे। उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से पहाटियों के आर्थिक स्तर में विशेष बदलाव आया है। ग्राम आगेसरा में तीन पहाटिया हैं और तीनों ही गोधन न्याय योजना के माध्यम से अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं।
भोजराम की कहानी बताती है कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अपने गोधन न्याय योजना के माध्यम से अपना भविष्य संवार रहे हैं। भोजराज ने अपनी पत्नी के लिए गहना खरीद कर पारिवारिक जीवन में खुशियां बिखेरी हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा किसानों, ग्रामीणों, महिलाओं एवं भूमिहीन मजदूरों की आर्थिक रूप से सशक्त करने और उनकी आय में वृद्धि के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर न्याय योजना के साथ-साथ आय के परंपरागत साधनों को सशक्त करने का ही यह परिणाम है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती और ग्रामीणों के रोजगार एवं आय में वृद्धि हुई है। माली हालत बेहतर होने से लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही अपने सपनों को भी पूरा करने में सक्षम हो रहे हैं। गोधन न्याय योजना से अतिरिक्त आय से कोई अपने बच्चों को बेहतर उच्च शिक्षा दिलाने में सक्षम हुआ है तो कोई मोटर सायकिल क्रय कर अपने जीवन को गतिशील बनाया है। पशुपालकों ने अतिरिक्त आय से गाय खरीदकर अपनी आय में बढ़ोत्तरी की है। ग्रामीण गोधन न्याय योजना के तहत गोबर बेचने से होने वाली आय से अपने परिवार के लोगों के लिए सोने-चांदी के जेवर भी खरीदने लगे हैं।