बिलासपुर । 13 घंटे पहलेछत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या लगातार घट रही है। पिछले 4 साल में बाघों की संख्या 46 से घटकर 19 हो गई है। इसके बाद भी वन विभाग को इसकी चिंता नहीं है। 12 साल में आज तक राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, राज्य शासन के वन विभाग के सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सहित अन्य को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। रायपुर के वन्यप्राणी प्रेमी व समाज सेवी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने बताया है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने वर्ष 2013 में गाइडलाइंस जारी की थी। जिसके तहत रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जाना था। तब सभी वनमंडलों को बजट जारी कर विशेष बंदूक, दवाइयां वगैरह खरीदने के आदेश दिए गए थे। इसके तहत सामग्रियों की खरीदी भी गई थी। लेकिन, अचानकमार टाइगर रिजर्व और उदंती सीतानाडी टाइगर रिजर्व में रैपिड रिस्पांस टीम अस्तित्व में ही नहीं है।
इंद्रावती टाइगर रिजर्व में इसका गठन 2020 में किया गया है। उन्होंने याचिका में बताया है कि बाघों को संरक्षण देने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम में 2006 में नए प्रावधान जोड़े गए हैं। जिसके तहत अलग-अलग स्तर पर तीन प्रकार की वैधानिक समितियां गठित कर बाघों और अन्य वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान करना है। लेकिन, छत्तीसगढ़ में इन समितियों का गठन तो किया गया है। लेकिन 12 साल में एक भी बैठक नहीं हुई है। याचिकाकर्ता सिंघवी ने कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ में लगातार बाघों की संख्या कम हो रही है और शिकार हो रहा है। वर्ष 2014 में 46 बाघ थे जो 2018 में घटकर 19 हो गए गए हैं। इसके बाद भी इनके संरक्षण की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है।