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जगदलपुर 28 मई 2021

कमिश्नर श्री जीआर चुरेन्द्र की अध्यक्षता में आज बस्तर कृषि एवं अन्य सहयोगी विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में कमिश्नर ने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, रेशम उत्पादन, मधुमक्खी पालन आदि गतिविधियों में तेजी लाने के लिए बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के माध्यम से भी राशि उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कृषि, उद्यानिकी एवं वनोपज के प्रसंस्करण के माध्यम से अधिक से अधिक स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर दिया। बैठक में कृषि, उद्यानिकी, मत्स्य, पुशपालन, रेशम, और क्रेडा विभाग के सभी सातों जिलों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

कमिश्नर ने कहा कि धान के अलावा कोदो-कुटकी, मक्का, रागी, सहित दलहन और तिलहन की फसलों में भी किसानों को बेहतर आय प्राप्त हो रही है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इन फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। इन कार्यों से किसानों को अवगत कराने और उन्हें धान के अलावा अन्य फसलों को लेने के लिए विशेष रुप से प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। धान के अलावा अन्य फसलों को लेने के लिए भी बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के माध्यम से सहायता दी जाएगी।

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कमिश्नर ने कहा कि पर्यावरण पर बढ़ते दबाव से बस्तर भी अछूता नहीं है। इन परिस्थितियों में लोगों को वनों के संरक्षण के साथ ही अधिक से अधिक वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वनाधिकार मान्यता प्राप्त भूमि में ग्रामीणों को फलदार वृक्षों के पौधे लगाने के लिए प्रेरित करें, जिससे भविष्य में उन्हें आय के साधन प्राप्त हो सकें।

कमिश्नर ने गांवों में उपलब्ध शासकीय भूमि का चिन्हांकन कर सामुदायिक उपयोग के लिए कृषि एवं वन विभाग के कर्मचारियों की समितियों का गठन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन भूमि में बागवानी एवं खेती जैसी गतिविधियों से ग्रामीणों को आसानी से रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। इन समितियों की अध्यक्षता अनुविभागीय दण्डाधिकारी द्वारा किए जाने के निर्देश दिए।

उन्होंने गांवों में मछलीपालन को बढ़ावा देकर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए अधिक से अधिक संख्या में तालाबों के खनन के साथ ही गांवों में उपवन बनाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि इन उपवनों में विभिन्न प्रकार के फलदार वृक्षों के साथ ही विभिन्न प्रकार के पुष्प एवं औषधीय महत्व के पौधे लगाए जाएं। उन्होंने इन उपवनों में युवाओं और किसानों को कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने ग्रामीणों द्वारा उत्पादित फसलों की मार्केटिंग एवं उनके प्रसंस्करण के लिए भी उल्लेखनीय प्रयास करने के निर्देश दिए।

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क्रमांक/597/शेखर

Source: http://dprcg.gov.in/