जशपुरनगर । पढ़ाई-लिखाई और अक्षर ज्ञान से वंचित रहे कई व्यक्तियों ने अपनी पढ़ने की इच्छा को पढ़ना लिखना अभियान के तहत संचालित साक्षरता मोहल्ला कक्षा के माध्यम से पूरा किया है। जिसके अंतर्गत कांसाबेल विकासखंड के ग्राम कुसूमताल के एक ही परिवार के 4 सदस्य ने साक्षरता मोहल्ला कक्षा एवं साक्षरता केन्द्र में अक्षर ज्ञान को समझा और शिक्षा से जुड़कर पूरा परिवार शिक्षित हो गया है। जिसमें श्री प्यारे लाल व उनकी पत्नी श्रीमती फुलसुन्दरी बाई, पुत्र राजू राम एवं उनकी बहू श्रीमती गीता बाई आर्थिक स्थिति कमजोर होने व अन्य मजबूरी के कारण परिवार का कोई भी सदस्य शिक्षा प्राप्त नहीं कर सका। उन्होंने जीवन में शिक्षा के महत्व को समझा और प्रशासन के द्वारा चलाए जा रहे मोहल्ला कक्षा में अपना नाम दर्ज कराकर 2 माह लगातार प्रतिदिन शिक्षा प्राप्त किया। श्री प्यारे लाल बताते है कि उम्र दराज होने के कारण वे अपने पुत्र और बहू के सामने पढ़ने की इच्छा को रख नहीं पाते थे। परंतु जब उन्हें यह मालूम हुआ कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी भी उम्र में शिक्षा प्राप्त किया जा सकता है और इसके लिए शासन के द्वारा प्रत्येक गांव के असाक्षर लोगों को साक्षर करने हेतु मोहल्ला कक्षा के माध्यम से शिक्षित कर रही है। यह मालूम होते ही उन्होंने अपने परिवार के सभी सदस्यों से मोहल्ला कक्षा से शिक्षित होने के लिए चर्चा की और उनके पत्नी, पुत्र, बहू ने भी प्रौढ़ शिक्षा लेने की इच्छा जताई।
प्यारे लाल ने अपने परिवार के साथ जाकर प्रौढ़ शिक्षा प्राप्त करना प्रारंभ कर दिया। उन्होंने बताया कि यहां उन्हें पढ़ना, लिखना एवं किताबी ज्ञान के अतिरिक्त तकनिकी शिक्षा बैंकिंग, मोबाईल उपयोग, इंटरनेट तथा अन्य जानकारी भी प्रदान की गई। जिससे उन्हें अब पढ़ने के साथ ही लिखने भी आने लगा है। पहले वे अपना नाम भी नहीं लिख पाते थे। परंतु मोहल्ला कक्षा के माध्यम से शिक्षित होकर वे अपना नाम का हस्ताक्षर भी आसानी से कर लेते है। वहीं प्योलाल के पुत्र एवं बहू भी शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह गए थे। परंतु उन्हें भी इस अभियान से जोड़कर शिक्षा से जोड़ा गया। अब उनका पूरा परिवार को पढ़ना लिखना अभियान से अक्षर का ज्ञान हो गया है। उनका कहना है कि परिवार में शिक्षा का अत्यंत महत्व है वे अपने आने वाले पीढ़ी को शिक्षा के क्षेत्र में अवश्य ही बढ़ावा देगे। प्यारेलाल की पत्नी श्रीमती फुलसुन्दरी बताती है कि इस अभियान से जुड़ने से उन्हें अक्षर का ज्ञान हुआ है। अब वे जब भी बाजार जाती है तो उन्हें किसी भी सामान को तौल -मोल भाव करने में आसानी होती है। जिससे वे सामान का सही भाव खुद से ही जोड़ कर देते है। फुलसुन्दरी कहती है कि सभी को अक्षर का ज्ञान होना जरूरी है। उन्हें यह भी समझ आ गया है कि उम्र से शिक्षा का कोई लेन नहीं है। किसी भी उम्र मंब शिक्षा ग्रहण किया जा सकता है। जिसका उनका पूरे परिवार ने पूरी उत्साह के साथ शिक्षा शिक्षित होकर 30 सितम्बर को आयोजित शिक्षार्थी आकलन महापरीक्षा अभियान में शामिल हुए और परीक्षा में सफल होकर शिक्षित होने का गौरव प्राप्त किया।