स्वदेशी तकनीक पर आधारित क्यु आर सैम मिसाइल का निर्माण किया गया था. जिसका परिक्षण उड़ीसा के बालसोर में हुआ था. रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन के यंत्र अनुसन्धान व् विकास संस्थान, देहरादून ने इस मिसाइल के लक्ष्य साधने की क्षमता बढ़ने के लिए लेजर प्रोक्सिमिटी फ्यूज का निर्माण किया है. इस फ्य्ज का परिक्षण ऑप्टिकल और इलेक्ट्रो ओप्टिक्स विषय पर चल रहे अंतरराष्ट्रिय सम्मलेन में किया गया था.
आई आर डी ई के एसोसिएट निर्देशक डॉ पुनीत वशिष्ठ बताते हैं कि अभी हमारे पास मिसाइल में जो तकनीक इस्तमाल किया जाता है वह रेडियो तरंगों के अधार पर कार्य करती है. कभी . कभी तरंगों के दिशा बदल जाने में मिसाइल को लक्ष्य साधने में कठिनाई होती थी. इस समस्या के समाधान के लिए हमारे संगठन ने दुश्मन देश के एयर क्राफ्ट को पकड़ने के लिए लेजर तरंगों पर आधारित फ्यूज का निर्माण किया है. दो साल के लगातार प्रयासों के बाद इसे बनाने में भारतीय रक्षा वैज्ञानिक सफल रहे हैं. यस फ्यूज कुछ और परिक्षण के बाद उपयोग में लाया जा सकेगा. रूस, फ़्रांस, अमेरिका के बाद लेजर तकनीक निर्माण करने वाला चौथा राष्ट्र हैं.