दंतेवाड़ा में पुलिस कैंप का विरोध फिर शुरू
दंतेवाड़ा में पुलिस कैंप का विरोध फिर शुरू

जगदलपुर । छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सिलगेर और पुसनार में ग्रामीणों का आंदोलन थमा नहीं कि अब दंतेवाड़ा में भी पुलिस कैंप के विरोध में एक बार फिर ग्रामीण लामबंद हो गए हैं। ग्रामीणों ने जिले के धुर नक्सल प्रभावित गांव नहाड़ी में प्रस्तावित नवीन पुलिस कैंप का विरोध करना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने कहा कि हमें गांव में कैंप नहीं बल्कि स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं चाहिए। जेल में बंद ग्रामीणों को अब तक रिहा नहीं किया गया है। सरकार ने हमारे साथ वादाखिलाफी की है। बस्तर में विकास के नाम पर विनाश किया जा रहा है।

ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि, बस्तर में झूठी मुठभेड़ों में गरीब आदिवासियों को मारा जा रहा है। युवक-युवतियों को नक्सल प्रकरण में जेलों में बंद भी किया जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि, जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं का वेतन भी नहीं बढ़ाया गया है। साथ ही पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार भी नहीं दिया जा रहा है। सरकार पुलिस में युवाओं को भर्ती करना चाह रही है, लेकिन कोई भी युवा पुलिस में भर्ती नहीं होना चाहते हैं। उन्हें पुलिस की नौकरी छोड़ अन्य कोई भी नौकरी सरकार जल्द से जल्द दें। ग्रामीणों ने कहा कि मंत्री वासी लखमा ने झूठ बोलकर चुनाव जीता है। लखमा अपना वादा भी भूल गए हैं। ग्रामीण पिछले 2 दिन से इस कैंप के विरोध में जुटे हुए हैं।

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दंतेवाड़ा जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके नहाड़ी गांव में जिले के नीलावाया, मुलेर समेत आधा दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीणों ने आंदोलन किया है। पारंपरिक हथियार और नृत्य के साथ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस कैंप को लेकर ग्रामीणों की भीड़ में महिला और बच्चों की संख्या ज्यादा देखने को मिली। लगभग 6 माह पहले भी नहाड़ी में ग्रामीणों ने पुलिस कैंप के विरोध में आंदोलन किया था, लेकिन वे एक-दो दिन बाद घर लौट गए थे।

नहाड़ी 15 लाख रुपए के हार्डकोर इनामी नक्सली विनोद का गांव है। हालांकि विनोद की बीमारी के चलते कुछ महीने पहले मौत भी हो चुकी है। पुलिस के अनुसार, दो जिलों का सीमावर्ती इलाका होने की वजह से यहां अक्सर नक्सलियों के बड़े लीडरों की आवाजाही भी देखने को मिलती है। यह इलाका पूरी तरह से माओवादियों का गढ़ माना जाता है। लेकिन ग्रामीणों ने कहा है कि, नहाड़ी गांव में कोई भी नक्सली नहीं आते है। गांव में केवल किसान रहते हैं। पुलिस का मानना है कि यदि इस इलाके में सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित हो जाएगा तो यहां से नक्सली काफी हद तक बैक फुट होंगे। गांव का विकास होगा।

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