भाई-बहन के रिश्तों का अटूट बंधन बन रही बिहान राखियां
भाई-बहन के रिश्तों का अटूट बंधन बन रही बिहान राखियां

दन्तेवाड़ा । राखी भाई-बहन के रिश्ते को जोड़ने वाला अटूट बंधन है, जो छोटे से रंगीन धागे में प्रेम को पिरोए हुए रहता है। रक्षा बंधन के पावन पर्व में इस बार जिले की बिहान की दीदियों द्वारा छिंद, धान, चावल निर्मित ईको फ्रेंडली राखी बनाई जा रही है।

जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करेंगे। कलेक्टर श्री दीपक सोनी ने नागरिकों से अपील की है कि वो रक्षाबंधन के पावन अवसर पर बिहान दीदियों द्वारा निर्मित राखी खरीदकर उनका उत्साह बढ़ाए।

झारा नंदपुरीन स्व-सहायता समूह सहित 6 अन्य स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा देशी खजूर छिंद, धान एवं चावल से रंग बिरंगी राखियां बनाई जा रही है, जो कलेक्टोरेट के सामने और दंतेश्वरी मार्ट में विक्रय के लिए उपलब्ध है।

जिले में देसी खजूर वानस्पतिक नाम फोनिक्स सिल्वेस्ट्रिस के वृक्ष प्राकृतिक रूप से अधिकाधिक संख्या में है। छिंद के रस का प्रयोग पूर्व में पेय पदार्थ के रूप में किया जाता था जो मादक पेय पदार्थ होता था। परंतु कलेक्टर श्री दीपक सोनी एवं जिला पंचायत सीईओ श्री अश्वनी देवांगन के मार्गदर्शन में अब इसके विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।

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छिंद के पूरे वृक्ष के अधिकांश भागों का प्रयोग ग्रामीणों के आजीविका संवर्धन में किया जा रहा है, जिसमें छिंद गुड़, बुके, राखी तथा अन्य शामिल हैं। इसी तारतम्य में जिले के झाड़ आनंदपुरी स्व-सहायता समूह द्वारा छिंद के पत्तों से बेहद ही आकर्षक राखियां एवं बुके तैयार की जा रही हैं। बुके का उपयोग जिले में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में किया जाता है। जिससे समूह द्वारा गत वर्ष   1 लाख 40 हजार का आय अर्जित किया गया था।

इस वर्ष भी समूह द्वारा 5 हजार से अधिक की राखियां विक्रय की जा चुकी है। इसके साथ जिले के अन्य समूहों द्वारा भी आकर्षक राखियां तैयार की जा रही है। जिसमें चावल, धान से राखियां तैयार की जा रही है। जो अपने आप में बेहद सुंदर व अद्वितीय है इन समूहों द्वारा भी 8 हजार की राखियां विक्रय की जा चुकी है।  

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