नरवा विकास कार्य से सजीव हुआ जोरान नाला
नरवा विकास कार्य से सजीव हुआ जोरान नाला

कोरिया। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी ग्राम योजना के तहत कोरिया जिले में नरवा विकास के लिए चरणबद्ध तरीके से जलसरंक्षण और जल स्रोत संवर्धन का कार्य कराया जा रहा है। जिसका परिणाम है कि कोरिया जिले में महात्मा गांधी नरेगा की मदद से अब तक प्रथम चरण के 1852 से ज्यादा कार्य 45 नालों में कराए जा चुके हैं। वहीं दूसरे चरण में चयनित 629 नालों के विकास के लिए बनाए गए 174 डीपीआर के आधार पर जलस्रोतों का उन्नयन कार्य कराया जा रहा है।

विकासखण्ड सोनहत वनांचल में भी इसी तरह के एक नरवा विकास कार्य का सुंदर उदाहरण जोरान नाला पर देखा जा सकता है। यहां पोड़ी के पहाड़ी से निकलकर रजौली होते हुए यह नाला चकडंड़ के आगे हसदेव नदी में जाकर मिलता है। बारिष के समय काफी तेजी से बहने वाले इस नाले पर प्रारंभिक स्तर पर उपचार की प्रक्रिया महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से गत वर्ष पूर्ण कराई गई है जिसका प्रत्यक्ष लाभ भी दिखने लगा है। जोरान नाला मरईझरिया पहाड़ से निकलता है और फिर गांव से बहता हुआ आगे बढ़ता है। इस नाले को नरवा विकास के तहत प्रथम चरण में उपचारित करने का कार्य कराया गया है। यहां तकनीकी माध्यम से सर्वे के बाद विभिन्न संरचनाएं स्वीकृत कर महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से पूर्ण कराई गई थीं जिनसे अब स्थानीय ग्रामीणों को लाभ मिलने लगा है। ग्राम पंचायत पोड़ी में इस नाले पर मनरेगा के तहत 46 हजार रूपए की लागत से 17 छोटे बड़े ब्रषहुड चेक, 40 हजार की लागत से 4 लूज बोल्डर चेक, 14 हजार की लागत से एक अर्दन गली प्लग, और 53 हजार की लागत से एक गेबियन स्ट्रक्चर बनाया गया। गत वर्ष अप्रैल से जून माह के प्रारंभ तक कराए गए इस नरवा विकास कार्य के लाभस्वरूप इस वनांचल क्षेत्र के लगभग 2 हेक्टेयर क्षेत्रफल में मृदा कटाव पूरी तरह से रूक गया साथ ही यहां का वर्षा जल मरइझरिया तालाब में भारी मात्रा में गाद और मिट्टी लेकर आता था

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स्थानीय किसानों के अनुसार आस पास के जलस्रोत में लगभग तीन फिट ज्यादा पानी रहने लगा है। वहीं इस क्षेत्र में हरियाली बढऩे से सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है कि अब यह संरचना भूजल स्तर को भी रिचार्ज करने लगी है। कोरिया जिले में नरवा विकास के कार्यो के तहत 72 हजार 520 हेक्टेयर भूमि को जलसंरक्षण के उद्देष्य से उपचारित किया जाना है ताकि जल के स्रोतों का संरक्षण और संवर्धन हो सके। जिसमें से अब तक नरवा विकास के तहत जिले भर में कुल 35513 हेक्टेयर भूमि को जलसंरक्षण के मानकों के अनुरूप प्राथमिक स्तर पर उपचारित कर लिया गया है।

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