बंजारन महिलाओं की आजीविका का साधन बनेगा शिशल शिल्प
बंजारन महिलाओं की आजीविका का साधन बनेगा शिशल शिल्प

रायपुरा। ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रुद्रकुमार की संवेदनशील पहल पर शिशल शिल्पकला अब वनांचल क्षेत्र की बंजारा जाति की महिलाओं के आजीविका का साधन बनेगा।

उल्लेखनीय है कि ग्रामोद्योग विभाग के हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा ग्रामीण वनांचलों में लोगों को विभिन्न शिल्पकलाओं पर आधारित लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को सीधे रोजगार से जोड़ा जा रहा है और उन्हें घर पर ही रोजगार उपलब्ध करा रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री चंदन कश्यप ने आज बस्तर विकासखण्ड अंतर्गत मुंजला सोनारपाल केन्द्र में शिशल शिल्पकला का प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

हस्तशिल्प विकास बोर्ड जगदलपुर, जिला बस्तर के महाप्रबंधक श्री एल.एस. वट्टी ने बताया कि बस्तर विकासखण्ड अंतर्गत मुंजला सोनारपाल केन्द्र में शिशल शिल्पकला का विभागीय योजना अंतर्गत तीन माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिशल शिल्पकला से जुड़ीं 20 बंजारा जाति की महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 21 दिसंबर 2021 से 30 मार्च 2022 तक आयोजित तीन माह के प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों को 1500 रुपए प्रतिमाह की दर से प्रशिक्षण भत्ता प्रदान की जाएगी।

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इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए श्रीमती लक्ष्मीवती नाग को प्रशिक्षक नियुक्त किया गया है। प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षणार्थियों की शिशल शिल्पकला में निखार आएगा और वे वर्तमान बाजार और लोगों की मांग के अनुरूप अपने उत्पाद तैयार कर सकेंगे। इससे उन्हें रोजगार उपलब्ध होने के साथ ही अच्छी आमदनी भी मिलेगी। जिला बस्तर के महाप्रबंधक ने बताया कि शिल्पकारों द्वारा प्रशिक्षण के दौरान तैयार किए गए शिल्पकला उत्पाद को हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा बाजार भी मुहैया कराया जाएगा।

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