बैकुण्ठपुर । अपनेपन की अनुभूति के साथ जिले के 73 ग्राम पंचायतों में निवासरत हजारों ग्रामीणों को नए ग्राम पंचायत भवन सह उचित मूल्य दुकानों की सौगात मिल गई है।
आदिवासी बाहुल्य कोरिया जिले में जिला प्रषासन की पहल से सभी नए ग्राम पंचायतों में कार्यालय भवन के साथ ही वहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बंटने वाले राषन की उचित मूल्य दुकानों का भी निर्माण कराया गया है। पूरे प्रदेष में अलग तरह की निर्माण योजना के कारण जहां ग्रामीण क्षेत्रों में नई ग्राम पंचायतों में वंचितों को मिलने वाले के राषन वितरण में पारदर्षिता बढ़ी है वहीं दूसरी ओर राज्य षासन को लगभग दो करोड़ रूपए की सीधे बचत भी हुई है।
महात्मा गांधी नरेगा का अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण करते हुए कोरिया जिले में परिसीमन के बाद बनी सभी ग्राम पंचायतों में नए पचायत भवन कार्यालय सह पीडीएस दुकानों का निर्माण कराया गया है। इनके पूर्ण होने से जिले के 73 नए ग्राम पंचायतों में निवासरत हजारों आम ग्रामीणों को इसका सीधा लाभ मिलने लगा है। कोरिया जिले के वनांचल सोनहत के ग्राम पंचायत अकलासरई से परिसीमन के बाद उसका आश्रित ग्राम किषोरी भी परिसीमन के बाद अब नवीन ग्राम पंचायत हो चुका है।
नवीन ग्राम पंचायतों के गठन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही यहां नवीन ग्राम पंचायत भवन कार्यालय बनाने की आवष्यकता हुई। जिले में नए पंचायत भवन कार्यालय निर्माण के अंतर्गत अभिनव पहल करते हुए ग्राम पंचायत कार्यालय के साथ ही उचित मूल्य की राषन दुकान का निर्माण कराया गया। कोरिया जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और अन्य दो योजनाओं के साथ अभिसरण करते हुए एक संयुक्त भवन का प्रस्ताव तैयार किया गया।
जिले में नवगठित प्रत्येक नवीन ग्राम पंचायत कार्यालय भवन सह उचित मूल्य दुकानों का निर्माण कार्य मानक प्राक्कलन के अनुसार 20 लाख रूपए की लागत से स्वीकृत किया गया था। इस कार्य के लिए महात्मा गांधी नरेगा के तहत 16 लाख रूपए, जिला खनिज न्यास मद से तीन लाख रूपए और 14वें वित्त योजना के तहत एक लाख रूपए की मानक स्वीकृति प्रदान की गई।
संयुक्त भवन की सफलता का उदाहरण बन चुके ग्राम पंचायत किषोरी की सरपंच श्रीमती सोनकुंवर कहती हैं कि ग्राम पंचायत का अपना कार्यालय बनने से गांव में रहने वाले प्रत्येक नागरिक का अपना एक अलग उत्साह है। जब हम ग्राम पंचायत के रूप में अलग नहीं थे तब इस गांव के हर छोटे-बड़े कार्य के लिए दो किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत अकलासरई के कार्यालय जाना पड़ता था। इसके साथ ही ग्राम किषोरी में किसी भी कार्य की स्वीकृति के लिए पूरे ग्राम पंचायत की सहमति लेना बड़ा कठिन काम था। पर ग्राम पंचायत अलग होने के बाद नया संयुक्त भवन बन जाने से अब सब कुछ आसान हो गया है। हम अपने सभी काम स्वयं के कार्यालय में कर लेते हैं।
संयुक्त भवन में ही राषन वितरण के लिए बनाई गई उचित मूल्य दुकान के लाभ के बारे में ग्राम सरपंच श्रीमती सोनकुंवर कहती हैं कि यहां के 176 राषन कार्डधारी परिवार अब सरलता से अपना राषन और अन्य सामान प्राप्त कर लेते हैं।
ग्राम पंचायत की सरपंच ने बताया कि अविवादित फौती नामांतरण और जन्म मृत्यु का पंजीयन भी हमारे ही ग्राम पंचायत कार्यालय में सरलता से हो जाता है। नया भवन बन जाने से अब राषन वितरण पर भी बराबर नजर रख लेते हैं। जब राषन वितरण होता है तो मैं या फिर उपसरपंच कोई भी आकर राषन वितरण प्रणाली काम की निगरानी कर लेते हैं।
ग्राम पंचायत किषोरी में रहने वाले ग्रामीण श्रीमती सुषीला, श्री प्रीतपाल सिंह श्री धर्मपाल सिंह और श्रीमती बगिया बाई ने राषन लेकर जाते हुए बताया कि अपने गांव में ही पंचायत कार्यालय और राषन दुकान का भवन बन जाने से अब सब कुछ आसान हो गया है।
हमें राषन के लिए लंबी लाइन नहीं लगानी पड़ती है। पहले जब अकलासरई में राषन दुकान थी तो चावल, चना नमक आदि को लेने के लिए कई बार जाना पड़ता था। वहां काफी भीड़-भाड़ होती थी और कभी कभी तो एक दिन में भी राषन नहीं मिलने से दूसरे दिन भी जाना पड़ता था।
अब गांव में अपनी राषन दुकान हो जाने से यह समस्या दूर हो गई है। घर और खेती का काम करते हुए कभी भी आकर अपना राषन ले जाते हैं। इससे हमारा समय बचने लगा है। गांव के ही श्री मनोज कुमार, श्री ओमप्रकाष और श्रीमती मुन्नीबाई कहते हैं कि जब राषन बंटता है तो कभी सरपंच तो कभी उपसरपंच या पंच आ जाते हैंं और राषन बंटाई का काम देखते हैं।
इससे गांव के राषन वितरण में पारदर्षिता बढ़ गई है। ग्राम पंचायत किषोरी में राषन दुकान का संचालन गांव के ही एक समूह द्वारा किया जा रहा है इस समूह में श्री सुरेन्द्र कुमार अध्यक्ष हैं। वह खुद ही राषन वितरण का काम देखते हैं। उन्होने बताया कि नए भवन के बन जाने से सभी राषनकार्ड धारियों के लिए पर्याप्त राषन स्टोर करने में सहूलियत हो गई है। अब बार-बार राषन मंगाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
विदित हों कि एक उचित मूल्य दुकान की लागत 8 लाख रूपए है वहीं ग्राम पंचायत भवन बनाए जाने की मानक लागत 14 लाख 42 हजार से ज्यादा है। कोरिया जिले में नवगठित 73 ग्राम पंचायतों में आवष्यकतानुसार दोनों भवनों को पृथक-पृथक ना बनाकर एक साथ बनाया गया है। इससे प्रति भवन लगभग 2 लाख 42 हजार रूपए की बचत हुई है। अगर 73 नवीन ग्राम पंचायतों में हुई बचत का आंकलन करें तो लगभग 1 करोड़ 90 लाख रूपए से ज्यादा राषि की सीधे बचत हुई है।
कोरिया जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और जिला खनिज न्यास मद के साथ ग्राम पंचायतों में उपलब्ध 14 वें वित्त योजना के साथ अभिसरण करते हुए जिले में 73 ग्राम पंचायतों में नए कार्यालय भवन सह पीडीएस दुकानों का निर्माण कार्य किया गया है।
जिले में अब तक 65 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में यह नवीन ग्राम पंचायत भवन सह पीडीएस दुकानों का संचालन प्रारंभ हो गया है। आने वाले कुछ दिनों में सभी नई ग्राम पंचायतों में यह प्रारंभ हो जाएगा। पंचायत भवन के कार्यालय के साथ उचित मूल्य दुकानों के संचालन से ग्रामीण क्षेत्रों में सुषासन की झलक देखने को मिल रही है।