महासमुन्द : मनरेगा बनी कृषक श्री गुपत की खुशी की वजह
महासमुन्द : मनरेगा बनी कृषक श्री गुपत की खुशी की वजह

अपने बीते दिनों को याद करके भावुक हो जाने वाले बसना विकासखण्ड के ग्राम पंचायत छिर्राचुवा के आश्रित ग्राम खवासपाली के किसान श्री गुपत साहू बताते है कि सरकार का प्रत्येक व्यक्ति के ऊपर ध्यान है। इसमें से शासन ने मुझे भी लाभ दिया है, अब मुझे किसी प्रकार की चिंता नहीं है। मुझे ग्राम पंचायत के द्वारा शासन के योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से हितग्राही मूलक कार्यों के लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त हुआ, जिसके तहत मैंने अपने निजी भूमि के कुछ भाग में डबरी निर्माण कार्य करवाया।

इसके पहले मैं डबरी वाली भूमि पर एक फसल ले रहा था। लेकिन अब मनरेगा निर्मित डबरी में मैंने मछली का बीज डाला है। अब बस इन बीजों से बड़ी मछली होने का इंतजार है। जिसे बेचकर मैं अपनी आर्थिक स्थिति और बेहतर कर सकूंगा। वे कहते है कि मनरेगा योजना ने उनके खुशहाल जीवन जीने की आसान राह बना दी है।

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किसान श्री साहू के मुताबिक वे डबरी के मेढ़ में केला का पेड़, पपीता, गन्ना, करेला, बरबट्टी, तोराई, स्वयं के भूमि पर नगदी फसल के रूप में साग सब्जी का उत्पादन कर रहा है। इस तरह वर्तमान में श्री साहू के परिवार के पास आत्मनिर्भर रहने वाले संपूर्ण संसाधन है। अब उन्हें कृषि कार्य कर अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ मत्स्य पालन से अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगा। महात्मा गांधी योजना से जुड़ कर श्री गुप्त साहू के परिवार की प्रमुख चिंताएॅ समाप्त हो गयी है। उन्होंने इसके लिए शासन एवं प्रशासन के इस कार्य में सहयोग को सराहनीय बताया है।

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा कृषकों की आय वृद्धि के लिए खेती-किसानी, पशुपालन के साथ-साथ मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिले में मछली पालन कृषकों के आर्थिक लाभ हेतु एक सार्थक जरिया बन रहा है। जिसके चलते कृषकों की अभिरूचि खेती-किसानी के साथ-साथ मछली पालन के प्रति तेजी से बढ़ रहा है। इसका एक और बड़ा कारण यह है कि एक ही तालाब या डबरी से वर्ष में दो बार मछली का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। ग्रामीणों की बढ़ती रूचि का एक कारण यह भी है कि जहां 1 हेक्टेयर खेत में धान व गेहॅू की फसल से किसानों को अधिकतम सवा लाख रूपए की आमदनी होती है, वहीं इतनी ही भूमि में मछली पालन कर ढाई लाख रूपए का आय प्राप्त कर सकता है।

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जिले में खेती के अलावा मछली पालन कृषकों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है। मछली पालन के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न कर स्थानीय लोगों के लिए पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने मंे महासमुन्द जिला अपनी पहचान बना रहा है। इस व्यवसाय को प्रारम्भ करने के लिए अब खेती-किसानी व बाड़ी का काम करने वाले कृषक  काफी रूचि दिखा रहे है।

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