महिला स्व-सहायता समूह ने मत्स्य पालन से कमाएं 52 हजार रूपए
महिला स्व-सहायता समूह ने मत्स्य पालन से कमाएं 52 हजार रूपए

मुंगेली । विकासखण्ड मुंगेली के गांव संबलपुर  की 10 केंवट समुदाय के महिलाओं की मां महामाया स्व-सहायता समूह कर रही मत्स्य पालन। समूह को मत्स्य पालन से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 52 हजार की आमदनी हुई। इस प्रकार से मछली पालन का व्यवसाय ग्राम संबलपुर के महिलाओं के लिए कम खर्च एवं कम मेहनत से अतिरिक्त आय का जरिया बनकर महिलाओ आत्मनिर्भर  बना रही है। मां महामाया  महिला स्व-सहायता समूह के महिलाओं में अपने इस सफल व्यवसाय के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि समूह गठन से पहले  वे गरीबी रेखा के नीचे आने से  उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी। 

स्वयं के पास उपलब्ध भूमि में खेती-किसानी करते थे,  एकड़ 15-20 क्वि. धान का उत्पादन हो पता था, इस उत्पादन से वे संतुष्ट नहीं थे। मत्स्य विभाग के मैदानीय अधिकारियों के संपर्क में आने के बाद संबलपुर  के महिलाओं ने समूह गठन किया। विभाग की योजना अन्तर्गत मछली पालन से संबंधित जानकारी मिलने से प्रभावित होकर ग्राम पंचायत से तालाब को 5 वर्षीय पट्टे पर लेकर मछली पालन का कार्य करने लगे। मछली पालन कार्य को 29 दिसंबर 2020 में प्रारंभ किया गया।

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संबलपुर तालाब का जल क्षेत्र 2.50 हेक्टेयर है। मत्स्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत मत्स्य बीज, परिपूरक आहार, मछुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं तकनीकी उन्नयन प्रशिक्षण प्रदाय कर उन्हे मछली पालन की तकनीकी जानकारी दी गई है ।  वर्तमान में समूह द्वारा पट्टे पर आबंटित तालाब में गुणवत्तायुक्त मछली बीज का संचयन एवं परिपूरक आहार के प्रयोग से मत्स्योत्पादन में निरंतर वृद्धि कर आर्थिक स्तर में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। प्राप्त आय से समूह के सदस्यों द्वारा  अपने घरेलू उपयोग की वस्तुओ का क्रय किया गया है तथा मकानों की मरम्मत की गयी कुछ सदस्यों द्वारा पक्का मकान बनवाया गया है कुछ सदस्यों द्वारा आवश्यकता अनुसार सायकल-मोटर सायकल क्रय किये है सदस्यों द्वारा अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने स्कमल भेजा जा रहा है। इस प्रकार से मत्स्य पालन का यह व्यवसाय गरीब महिलाओं के लिए अत्यंत लाभ का व्यवसाय साबित होकर उनके स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन गया है।

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