- शासन से मिली मदद, राज्य शासन द्वारा मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने से जिले में मत्स्यपालन की गतिविधियों में आई तेजी
- रोहू, कतला, कोमलकार प्रजाति की मछलियों का किया जा रहा पालन
- मछलियां बस्तर, डोंगरगांव, खैरागढ़ एवं अन्य राज्यों में की जा रही निर्यात
राजनांदगांव के श्री सुरजू ढीमर ने मत्स्यपालन के माध्यम से समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाएं है। उन्होंने बताया कि मछलीपालन उनकी हॉबी है और उन्हें शासन से बहुत मदद मिली है। गौरतलब है कि राज्य शासन ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दे दिया है। जिससे जिले में मत्स्यपालन की गतिविधियों में तेजी आई है। श्री सुरजू ढीमर ने खैरागढ़ विकासखंड के ग्राम करेला में 3 एकड़ भूमि के तालाब में मछलीपालन कर रहे हैं। जहां रोहू, कतला, कोमलकार प्रजाति की मछलियां है।
उन्होंने बताया कि शासन से पट्टा पर उन्हें ढाबा एवं बरगा में भी तालाब मिला है जहां वे मत्स्यपालन कर रहे हैं। उनके यहां से मछलियां बस्तर, डोंगरगांव, खैरागढ़ एवं अन्य राज्यों में निर्यात की जा रही है। श्री सुरजू ढीमर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान थोड़ी दिक्कत हुई थी लेकिन अभी काफी अच्छी स्थिति है। मछलीपालन विभाग द्वारा उन्हें मोटर सायकल एवं आईस बॉक्स भी प्रदान किया गया है।
इसके अलावा 1 लाख रूपए राशि का मत्स्याखेट जाल, 12 हजार रूपए की दो ईकाई ग्रामीण तालाब में मछली बीज संचयन, 25 हजार रूपए की राशि से ग्रामीण तालाब में परिपूरक आहार, समिति अनुदान सहायता अंतर्गत पट्टा राशि, मछली बीज एवं जाल पर 3 लाख रूपए अनुदान सहायता राशि प्रदान की गई। कृषक कल्याण अभियान अंतर्गत ग्रामीण तालाब में उत्पादन हेतु 1 लाख 20 हजार रूपए का परिपूरक आहार प्रदान किया गया। 1 लाख रूपए की राशि तालाबों में मत्स्य उत्पादन वृद्धि हेतु प्रदर्शन ईकाई स्थापना के लिए परिपूरक आहार के लिए दिया गया।