आयुष विभाग द्वारा पहली ही खेप में संघ से 1.24 करोड़ रूपए के 12 औषधियों की खरीदी
मुख्यमंत्री श्री बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री श्री अकबर की पहल पर शासकीय विभागों द्वारा ‘छत्तीसगढ़ हर्बल‘ की खरीदी शुरू
आदिवासी-वनवासी संग्राहकों को प्रसंस्करण का भी मिलेगा अधिक से अधिक लाभ
रायपुर । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर की पहल पर छत्तीसगढ़ में राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा निर्मित आयुर्वेद औषधियों की मांग बढ़ने लगी है। इसी तारतम्य में राज्य आयुष विभाग द्वारा चालू वर्ष के दौरान पहली ही खेप में संघ से एक करोड़ 24 लाख रूपए की राशि के 12 विभिन्न आयुर्वेद औषधियों की खरीदी की जा रही है। इनमें अविपत्तिकर चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण, पुष्यानुग चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, शतावरी चूर्ण, मुलेठी चूर्ण, सितोपलादि चूर्ण, पंचसकार चूर्ण, अर्जुनत्वक चूर्ण, महाविषगर्भ तेल तथा चव्यनप्राश अवलेह शामिल हैं।
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में आदिवासी-वनवासी सहित संग्राहकों को लघु वनोपजों के संग्रहण के साथ-साथ प्रसंस्करण का भी अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इससे संग्राहकों को संग्रहण के अलावा प्रसंस्करण के कार्यों से जहां अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे है, वहीं उनकी आमदनी में भी निरंतर वृद्धि होने लगी है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में विगत 25 फरवरी को केबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि शासकीय विभाग द्वारा उपलब्ध बजट के अंतर्गत अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक दवाओं का क्रय छत्तीगसढ़ लघु वनोपज सहकारी संघ से बिना निविदा के किया जा सकता है। साथ ही राज्य के शासकीय विभागों, उपक्रमों को छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के अंतर्गत ‘छत्तीसगढ़ हर्बल‘ ब्राण्ड के अंतर्गत बन रहे और संजीवनी के माध्यम से बिक रहे ‘छत्तीसगढ़ हर्बल‘ के समस्त उत्पादों को संघ द्वारा निर्धारित एमआरपी में 10 प्रतिशत छूट देने का भी निर्णय लिया गया है।
राज्य में इसके फलस्वरूप शासकीय विभागों तथा उपक्रमों द्वारा राज्य लघु वनोपज संघ से आयुर्वेद औषधियों की खरीदी प्रारंभ कर दी गई है। प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री संजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में राज्य आयुष विभाग द्वारा इसकी खरीदी सी.जी.एम.एस.सी. के माध्यम से की जा रही है। आयुष विभाग की कुल खरीदी में से 8.36 लाख रूपए की राशि के अविपत्तिकर चूर्ण, 12.26 लाख रूपए के हिंग्वाष्टक चूर्ण, 2.48 लाख रूपए के पुष्यानुग चूर्ण तथा 4.03 लाख रूपए के त्रिफला चूर्ण की खरीदी शामिल है। इसी तरह 21.38 लाख रूपए के अश्वगंधा चूर्ण, 7.93 लाख रूपए के शतावरी चूर्ण, 3.97 लाख रूपए के मुलेठी चूर्ण, 15.03 लाख रूपए के सितोपलादि चूर्ण, 7.43 लाख रूपए के पंचसकार चूर्ण, 1.25 लाख रूपए के अर्जुनत्वक चूर्ण, 9.52 लाख रूपए के महाविषगर्भ तेल तथा 30.05 लाख रूपए के च्यवनप्राश अवलेह की खरीदी शामिल है।
इनमें अविपत्तिकर चूर्ण 200 ग्राम का 205 रूपए, हिंग्वाष्टक चूर्ण 200 ग्राम का 395 रूपए, पुष्यानुग चूर्ण 200 ग्राम 180 रूपए, त्रिफलाचूर्ण 500 ग्राम 170 रूपए, अश्वगंधा चूर्ण 500 ग्राम 585 रूपए तथा शतावरी चूर्ण 500 ग्राम 295 रूपए का मूल्य निर्धारित है। इसी तरह मुलेठी चूर्ण 100 ग्राम 80 रूपए, सितोपलादि चूर्ण 500 ग्राम 645 रूपए, पंचसकार चूर्ण 500 ग्राम 350 रूपए, अर्जुनत्वक चूर्ण 100 ग्राम 45 रूपए, महाविषगर्भ तेल 50 मि.ली. 105 रूपए तथा च्यवनप्राश अवलेह 250 ग्राम 125 रूपए का मूल्य निर्धारित है।