रायपुर । मनरेगा कार्यक्रम से लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए मेट के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। मेट अपने ग्राम पंचायत में बखूबी अपने कार्य को निभा रही हैं जिससे ग्राम के सभी ग्रामीणों को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही ग्रंाव के मजदूरो को अतिरिक्त सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है। गांव में डबरी, कुंआ निर्माण सहित कई कार्यों को ग्रामीणांे तक पहुंचा कर गांव को समृद्ध बनाने में ये अपनी अहम भूमिका अदा कर रही है। इसी कड़ी में जशपुर जिले के पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम सुरजगढ़ की पुष्पावती चौहान ने अपने ग्राम पंचायत में विकास को बढ़ावा देते हुए न सिर्फ गांव के लोगों को मनरेगा के तहत् रोजागर उपलब्ध कराया बल्कि अपने गांव में विभिन्न योजना से लोगों को लाभ प्रदान करने में उनकी सहायता भी की। पुष्पावती बताती है कि गांव में अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके पास कोई रोजगार नहीं था। परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं थी परंतु उन्हें मनरेगा कार्यक्रम में मेट बनने का अवसर मिलने से उन्हें रोजगार तो मिला ही साथ ही अपने क्षे़त्र में सुविधाएं उपलब्ध कराने का मौका भी मिला। 02 अक्टूबर 2016 को ग्राम सभा में मेट नियुक्ति की गई।
मेट बनने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी हुई साथ ही अपनी पढ़ाई को भी जारी रख सकीं। उन्होंने बताया कि मेट के रूप में कई कमजोर परिवारों को रोजगार दिलवाया। पुष्पावती ने मेट बनने के बाद अपने मजदूरों को कार्यस्थल पर सुविधा उपलब्ध कराने के दृष्टि से पीने का पानी एवं शेड की भी व्यवस्था कराई जिससे मजदूरों को मध्यान्ह भोजन समय पर पेयजल एवं छाव की सुविधा मिल सके। साथ ही उनके द्वारा प्रत्येक कार्यस्थल पर चिकित्सा सुविधा के लिए मेडिकल किट भी रखी गयी। जिससे कार्य के दौरान तात्कालिक उपचार की सुविधा मजदूरों को प्राप्त हो सके। उन्होनंे महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किया। महिलाओं को जागरूक करने के लिए घर-घर जाकर उन्हें समझाईश देने के साथ ही स्व-सहायता समूह को भी शामिल किया। जिससे महिलाओं में रोजागर के प्रति आकर्षण बढ़ा। जिससे अब स्व-सहायता समूह की महिलाओं की भी आर्थिक स्थिति अच्छी हुई है। उन्होंने रोजगार प्राप्त करने के लिए ग्रामीण परिवारों को प्रोत्साहित किया।
वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में लगभग 50 परिवारों को 100 दिवस से अधिक का रोजगार प्रदान किया गया। साथ ही वन अधिकार पट्टाधारी परिवार का भी चिन्हांकन कर उन्हें अतिरिक्त रोजगार दिवस उपलब्ध कराने का प्रयास किया। कोविड के दौरान भी उनके द्वारा मनरेगा कार्यस्थल पर ग्रामीणों को मास्क उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सहित अन्य कोविड नियमों का पालन कराते हुए मनरेगा कार्याे को सुचारू रूप से संचालित कराया गया। जिससे लॉकडाउन के दौरान भी ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त हुआ एवं उनके आर्थिक स्थिति मजबूत बनी। पुष्पावती कहती है कि उनके जीवन में मेट का कार्य उनके परिवार के साथ ही ग्रामीणों की मदद के लिए कारगर साबित हुआ है। वह आगे भी मेट के पद पर कार्य करते हुए ग्रामीण लोगों को मनरेगा के विभिन्न कार्यों के तहत अधिक से अधिक कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर क्षेत्र के विकास में अपना योगदान देती रहेंगी।