रायपुर । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि मिनीमाता ने नारी उत्थान, श्रमिक कल्याण और छूआछूत निवारण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। लोकसभा में उनके द्वारा अस्पृश्यता निवारण विधेयक पारित कराने में अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने जिस समतामूलक समाज का सपना देखा था। वह वास्तव में हर छत्तीसगढ़िया का सपना था। छत्तीसगढ़ सरकार उनके सपनों के अनुरूप शोषण, भेदभाव, अत्याचार से मुक्त और समतामूलक समाज के निर्माण के लिए निरंतर प्रयासरत है। श्री बघेल आज अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ’मिनीमाता स्मृति दिवस’ के कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने पूर्व सांसद मिनीमाता को श्रद्धांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिव कुमार डहरिया भी शामिल हुए। कार्यक्रम का आयोजन गुरु घासीदास साहित्य एवं सांस्कृतिक अकादमी द्वारा किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद ममतामयी मिनीमाता जी के व्यक्तित्व, उनके संघर्ष और उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। मिनीमाता सहित हमारे पुरखों ने छत्तीसगढ़ प्रदेश को सशक्त बनाने के लिए जो जिम्मेदारियां हमें सौंपी हैं, हमारी सरकार उन्हें पूरा करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहीं हैं। मिनीमाता के मन में प्रदेशवासियों के लिए जो पीड़ा थी, वह जन-जन का दर्द है।
उनके सपने हम सब के सपने हैं। हम सब को मिलकर समाज के सभी तबके के दुख-दर्द को मिटाने और अच्छा समाज गढ़ने के लिए कार्य करना है। उन्होेेंने कहा कि मिनीमाता ने बचपन से ही गरीबी, विस्थापन, शोषण और अत्याचार के दर्द को समझ लिया था। वे अंग्रेजो के अत्याचार को भी देखी थीं। तत्कालीन समय में शोषण और अत्याचार के खिलाफ चलने वाले आंदोलनों का प्रभाव भी उन पर पड़ा था। गुरू अगमदास लोकसभा सांसद थे। उनकी मृत्यु के पश्चात मिनीमाता लोकसभा सदस्य बनी। वे 1952 से 1972 तक लोकसभा सदस्य रही। राजनीति जीवन शुरू होने के बाद मिनीमाता ने सामाजिक उत्थान का कार्य तेज कर दिया। बुराईयों और विसंगतियों को मिटाने के लिए प्रयास किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिनीमाता छत्तीसगढ़ को आर्थिक रूप से मजबूत और सशक्त देखना चाहती थी, ताकि रोजगार के लिए किसी मजदूर को अपना गांव छोड़कर न जाना पड़े। राज्य सरकार ने उनके सपनों को साकार करते हुए कोरोना संकट काल में किसानों, मजदूरों, श्रमिकों और असहायों के हित में निरंतर कार्य किया और इस आपदा का मुकाबला किया। कोरोना काल में भी जहां देश में आर्थिक मंदी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक गांव-गांव में आर्थिक तरक्की हो रही थी।
प्रदेश में रोजगार की कमी नहीं रही। इसके अतिरिक्त दूसरे राज्यों में काम करने के लिए गए प्रवासी श्रमिकों को उसी राज्य में आर्थिक मदद पहंुचाने का कार्य किया गया। प्रवासी श्रमिकों को सकुशल छत्तीसगढ़ लाने के लिए ट्रेनों और बसों की व्यवस्था की गई। उनके लिए रोजगार की व्यवस्था करने के साथ ही उनके निःशुल्क उपचार की भी व्यवस्था की गई।
कार्यक्रम को नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ.शिवकुमार डहरिया ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सतनामी समाज के गुरू अगमदास से विवाह के बाद मिनीमाता निरंतर महिला उत्थान, अस्पृश्यता निवारण की दिशा में काम करने लगी। मिनीमाता ने राष्ट्रीय आंदोलन, दलितोत्थान व समाज सुधार गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
मिनीमाता के योगदान हम सब के लिए प्रेरणाप्रद है, उनके इस योगदान को कभी भुलाया नही जा सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार मिनीमाता और पुरखों के सपनों को साकार करने उनके बताए हुए रास्ते पर चल रही हैं। कार्यक्रम स्थल पर गुरु घासीदास साहित्य एवं संास्कृतिक अकादमी के अध्यक्ष श्री के. पी. खांडे, साहित्यकार डॉ.जे.आर.सोनी, श्री डी.एस.पात्रे, नगर निगम रायपुर के एमआईसी मेम्बर सुंदर जोगी सहित सतनाम पंथ के अनुयायी उपस्थित थे।