- सिकलसेल के इलाज हेतु आईपीडी एवं अनुसंधान स्तर की व्यवस्था करने के निर्देश
- स्वास्थ्य मंत्री ने की सिकलसेल इंस्टीट्यूट संचालक मंडल की समीक्षा
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश में सिकलसेल की पहचान एवं रोकथाम के लिए स्क्रीनिंग करना आवश्यक है। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में सिकलसेल यूनिट बनाकर सघन स्क्रीनिंग अभियान चलाया जाए। उन्होंने सिकलसेल के बेहतर इलाज के लिए ओपीडी व्यवस्था के अलावा आईपीडी तथा एडवांस वर्जन के साथ-साथ अनुसंधान स्तर की भी व्यवस्था प्रारंभ करने कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव ने आज अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ सिकलसेल इंस्टीट्यूट संचालक मंडल के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश के किन-किन क्षेत्रों में इस बीमारी की अधिकता है इसके पहचान के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट बढ़ाया जाए। उन्होंने नार्मल सिकलिन (एएस) और बड़ी सिकलिन (एसएस) की पहचान कर इसके इलाज के बेहतर विकल्प तैयार करने को कहा। मंत्री श्री सिंहदेव ने सिकलसेल संस्थान के लिए बजट, नवीन सिकलसेल जांच एवं परामर्श केन्द्र खोलने, विषय-विशेषज्ञों की सेवा लिए जाने, मानव संसाधन की उपलब्धता, सिकलसेल क्लीनिक एवं परामर्श केन्द्र तथा डे-केयर सेन्टर को ऑनलाइन करने और संस्थान में ई-क्लॉस (डिजीटल रूम) विकसित करने सहित विभिन्न विभागीय एजेन्डों पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त की।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री आर. प्रसन्ना, सीजीएमसी के प्रबंध संचालक श्री कार्तिकेय गोयल, सिकलसेल इंस्टीट्यूट के महानिदेशक डॉ. पी.के. पात्रा, आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. चन्द्राकर, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. विष्णुदत्त सहित वित्त और लॉ विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।