रायपुर । गोधन न्याय योजना से गौठानों में महिलाओं और ग्रामीणों को स्वावलंबन की नई राह मिल गई है। महिला समूहों ने गोबर की खरीदी की राशि से अधिक राशि की वर्मी और सुपर कम्पोस्ट खाद बेच चुकी है। अभी भी महिला समूहों के पास 25 प्रतिशत खाद विक्रय के लिए शेष है, जिसका पूरा लाभ समूह और गौठान समितियों को मिलेगा।
गोधन न्याय योजना एक ऐसी योजना है जिसका लाभ गोबर बेचने वाले ग्रामीणों, पशुपालकों सहित इससे खाद तैयार करने वाले महिला समूहों और गौठान समितियों को लगातार फायदा हो रहा है। गौठानों में निर्मित उच्च क्वालिटी का कम्पोस्ट खाद राज्य के किसानों को रियायती दर पर मात्र 10 रूपए किलों में प्रदाय की जा रही है। इससे किसानों को कंपनियों से मंहगे दर पर (लगभग 60 रूपए प्रति किलो) वर्मी खाद खरीदने से निजात मिली है और राज्य में जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। दुर्ग जिले में गोधन न्याय योजना की समीक्षा में यह बात सामने आयी है।
दुर्ग जिले में पिछले मार्च तक खरीदे गए गोबर और इससे तैयार खाद के विक्रय की समीक्षा में यह बात पता चली कि 2.50 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई। जिसके एवज में 4 करोड़ 89 लाख रुपए का भुगतान पशुपालकों और ग्रामीणों को किया गया।
महिला समूहों द्वारा गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद, सुपर कंपोस्ट और अन्य उत्पाद बनाये गए। लगभग 65 हजार क्विंटल वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट तैयार किया गया, जिसका 74 फीसदी मात्रा बेची जा चुकी है। इससे विक्रय से लगभग 4.50 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हो चुकी है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से क्रय गोबर से निर्मित वर्मी खाद 4 करोड़ 99 लाख रुपए बेची जा चुकी है, अभी 25 फीसदी खाद बेचना शेष है। जल्द ही इनका विक्रय कर लिया जाएगा।
इस तरह मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप गोधन न्याय योजना के माध्यम से स्वावलंबी गौठान की नींव रखे जाने की प्रक्रिया मजबूती से आगे बढ़ रही है। पशुपालकों और ग्रामीणों को गोबर बेचने के लिए सभी आवश्यक सुविधाए देने के साथ ही गोबर की आवक के हिसाब से वर्मी पिट की भी व्यवस्था की जा रही है। गोबर खरीदी से कम्पोस्ट खाद निर्माण और इसके विक्रय के इंतजाम किए गए है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सोसायटियों के माध्यम से और सीधे किसानों को तथा शहरी क्षेत्रों में कंपोस्ट खाद की जरूरत वाले उपभोक्ताओं से संपर्क कर खाद की बिक्री बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हर गौठान के साथ ही चारागाह की व्यवस्था,पानी और चारा जैसी बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखा जा रहा है। गोबर खरीदी नियमित रूप से जारी रखने के अलावा पशुओं की जांच के लिए शेड्यूल के मुताबिक कार्य करने भी कहा गया है। गौठानों में समतलीकरण करने और वहां कीचड़ यहां नहीं हो इसकी व्यवस्था के अलावा गौठानों में आजीविकामूलक गतिविधियों को भी बढ़ावा देने के काम किए जा रहे हैं।