जांजगीर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर में नहर की जमीन से अवैध कब्जा हटाने के लिए सिंचाई विभाग ने भगवान शिव को नोटिस दिया है। शिव मंदिर के नाम भेजे गए इस नोटिस में एक सप्ताह का समय कब्जा हटाने के लिए दिया गया है। खास बात यह है कि इसी जमीन पर नेताओं और पूर्व अफसरों के कॉम्प्लेक्स और मकान भी बने हैं, लेकिन उन्हें छोड़ दिया। अफसरों का कहना है कि नक्शा खो गया है। हालात यह है कि विभाग उसकी नाप-जोख तक नहीं करा पा रहा। मुख्य नहर के दोनों तट पर सिंचाई विभाग की जमीन है। इस पर तमाम लोगों का अवैध कब्जा है। इसके चलते वार्डों का ड्रेनेज सिस्टम फेल हो गया। जल भराव के साथ-साथ लोग गंदे पानी की बदबू और मच्छरों से भी परेशान हैं।
शिकायत मिली तो तत्कालीन प्रभारी CMO रोमा श्रीवास्तव (IAS) ने सिंचाई विभाग के अफसरों को बुलाकर सरकारी जमीन की जांच करने को कहा। अफसरों ने नक्शा नहीं होने की बात कही तो उन्होंने नाप-जोख के निर्देश दिए। अफसर के निर्देश पर 24 और 25 अक्टूबर को नहर पटवारी और अन्य अफसरों ने सीमांकन किया, लेकिन बात लेफ्ट-राइट में उलझ गई। नहर के बाएं साइड में जितने भी मकान बने थे, उन्हें नोटिस तामील करा दिया गया। 7 दिन में कब्जा हटाने के निर्देश दे दिए, लेकिन दाएं साइड वाली मेन रोड पर बने मकानों और कॉम्प्लेक्स छोड़ दिए गए। यह कॉम्प्लेक्स विभाग के ही रिटायर्ड एग्जीक्यूटिव इंजीनियर का है। वहीं बाकी मकान नेताओं और अन्य अफसरों के हैं। अवैध कब्जे का यह खेल कई बार सुर्खियां बन चुका है। हर बार अफसर नक्शा गुम होने की बात कहते हैं। इस पर नाप-जोख को लेकर फटकार लगी, लेकिन वह भी एक साइड में जाकर रुक गया। जिस पूर्व अफसर का कॉम्प्लेक्स मेन रोड पर है, उसकी नाप-जोख तक नहीं कर पा रहे हैं। जबकि 2 किमी अंदर वार्ड-8 में बने शिव मंदिर में भगवान शंकर के नाम से नोटिस थमा दिया गया है। इसमें भी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है ।