छत्तीसगढ़ और ओडिसा की सीमा पर बसे देवड़ा में घने वनों के बीच शिव का मंदिर है, जिसे झाड़ेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

स्वयं-भू शिवलिंग

यहां मंदिर में स्वयं-भू शिवलिंग है, जिसके दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ के साथ-साथ सीमावर्ती राज्य ओडिसा से भी भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

साल में दो बार लगता है मेला

इसके पास ही प्राचीन देवी मंदिर भी स्थापित है, यहां साल में कार्तिक पूर्णिमा तथा महाशिवरात्रि के अवसर पर दो बार मेला लगता है।

पक्की सड़क से पहुंचना हुआ आसान

छत्तीसगढ़ राज्य के वनांचल स्थित बस्तर जिले के टिकरीपदर से देवड़ा तक शासन की पहल पर पक्की सड़क के निर्माण से यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए पहुंचना सुगम हो गया है।

ग्रामीणों ने जताया शासन का आभार

यहां धनपुंजी से तिरिया जाने वाले मार्ग में टिकरीपदर से देवड़ा तक लोक निर्माण विभाग द्वारा 4 करोड़ 65 लाख रूपए की लागत से साढ़े चार किलोमीटर पुल-पुलिया सहित पक्की सड़क बनाई गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 21 जून को आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उक्त सड़क मार्ग का लोकार्पण किया गया था। ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के लिए शासन और जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया है।

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गरियाबंद का भूतेश्वर महादेव

छत्तीसगढ़ की राजधानी से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गरियाबंद जिला। जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम मरौदा के जंगलों में प्राकृतिक शिवलिंग ‘भूतेश्वर महादेवÓ स्थित है।

हर साल बढ़ती है ऊंचाई

पूरे विश्व में इसकी ख्याति हर वर्ष बढऩे वाली इसकी ऊंचाई के कारण है। सुरम्य वनों एवं पहाडियों से घिरे अंचल में प्रकृति प्रदत्त विश्व का सबसे विशाल शिवलिंग विराजमान है।

1959 में प्रकाशित कल्याण पत्रिका में है उल्लेख

भूतेश्वर महादेव की ऊंचाई का विवरण 1959 में प्रकाशित पत्रिका ‘कल्याण’ के तीर्थाक में पृष्ठ संख्या 408 पर है। उसमें इसकी ऊंचाई 35 फीट और व्यास 150 फीट उल्लिखित है। इसमें इसे विश्व का एक अनोखा महान एवं विशाल शिवलिंग बताया गया है।

वहीं 1978 में इसकी ऊंचाई 40 फीट बताई गई। 1987 में 55 फीट और 1994 में फिर से थेडोलाइट मशीन से नापने पर 62 फीट और उसका व्यास 290 फीट मिला। वहीं वर्तमान में इस शिवलिंग की ऊंचाई 80 फीट के आसपास बताई जा रही है।

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