रायपुर । छत्तीसगढ़ में सरकार के एक और फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार सख्त हो गई है। केंद्रीय सड़क-परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में परिवहन विभाग से कहा है कि वह अंतरराज्यीय सीमाओं पर बनी अपनी जांच चौकियों को हटा लें। उनका कहना था, 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद इन चौकियों की कोई जरूरत नहीं रह गई है। पिछले सप्ताह केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अवर सचिव शशिभूषण ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पुडुचेरी, गोवा, राजस्थान और उत्तराखंड के प्रमुख सचिवों को एक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है, जीएसटी लागू होने के बाद अंतरराज्यीय सीमाओं पर स्थायी जांच चौकी की जरूरत खत्म हो गई है। वाहनों का पूरा ब्यौरा अब ऑनलाइन उपलब्ध है। अधिसंख्य राज्यों ने अपनी सीमाओं से यह बैरियर हटा भी लिया है। उन्होंने राज्यों से कहा है, जितनी जल्दी हो सके इन बैरियर को हटाकर मंत्रालय को बताया जाए। छत्तीसगढ़ में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड से लगती सीमाओं पर 16 परिवहन बैरियर स्थापित हैं। कुछ वर्ष पहले तक इन बैरियर से 100 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली होती थी। पिछले वित्तीय वर्ष में ही करीब 66 करोड़ रुपए की राजस्व वसली हुई है।
जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर भाजपा की तत्कालीन सरकार ने 4 जुलाई 2017 की आधी रात से सभी अंतरराज्यीय सीमा चौकियों को बंद कर दिया था। इन चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को आरटीओ से संबद्ध कर दिया गया। सरकार का तर्क था, कर प्रणाली बदल जाने से इन जांच चौकियों की जरूरत नहीं रह गई है। वहीं इसके हट जाने से जांच चौकियों पर लगने वाला जाम खत्म हो जाएगा।
दिसंबर 2018 में छत्तीसगढ़ की सरकार बदल गई। छह-सात महीने बाद ही सरकार वित्तीय संसाधन बढ़ाने के लिए हाथपांव मारने लगी थी। 2020 में यह बात आई कि सीमा जांच चौकियों को फिर शुरू कर राजस्व जुटाया जा सकता है। ओवरलोडिंग से ही हर साल 60 करोड़ रुपए से अधिक का शमन शुल्क वसूला जाता रहा है। कर के लिए जांच चौकियों की जरूरत नही है, लेकिन ओवरलोडिंग, तस्करी आदि को रोकने के काम आएंगी। इसके बाद 4 जुलाई 2020 की आधी रात से ये बैरियर फिर से शुरू कर दिए गए।