10 साल के डॉक्टर आदित्य ने अंबिकापुर में छात्रों को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाया
10 साल के डॉक्टर आदित्य ने अंबिकापुर में छात्रों को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाया

अंबिकापुर: योग और पर्यावरण विषय में शोध कर केवल 10 वर्ष की उम्र में ही दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाले डॉ. आदित्य राजे सिंह 20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस पर अदाणी विद्या मंदिर, उदयपुर में आयोजित एक समारोह में शामिल हुए। इतनी कम उम्र में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त करने और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने वाले आदित्य अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान सरगुजा पहुंचे।

छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के लिए किया प्रेरित:

आदित्य ने अदाणी विद्या मंदिर में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने छात्रों को अपनी शोध और उपलब्धि के बारे में बताया और पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न उपायों की जानकारी दी। उन्होंने छात्रों से भेंट के रूप में लोगों को एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित किया ताकि पर्यावरण बेहतर हो सके।

अक्षय ऊर्जा और कोयले पर भारत की निर्भरता:

आदित्य ने बताया कि भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है, लेकिन आने वाले दो दशक में किफायती और निरंतर बिजली के लिए देश की निर्भरता कोयले पर बनी रहेगी। उन्होंने जिम्मेदार खनन के महत्व पर जोर दिया और पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

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राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के वृक्षारोपण अभियान की सराहना:

आदित्य ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा परसा ईस्ट केते बसन (PEKB) खदान में खनन की गई भूमि पर 12 लाख से अधिक पेड़ लगाने के वृक्षारोपण अभियान की सराहना की। उन्होंने नए विकसित वन और नर्सरी का दौरा किया और अधिकारियों से उनके प्रयासों के बारे में जानकारी ली।

अदाणी विद्या मंदिर के छात्रों को मिली प्रेरणा:

आदित्य से मिलकर अदाणी विद्या मंदिर के छात्र-छात्राएं काफी प्रेरित हुए। उन्होंने आदित्य की उपलब्धियों और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण को प्रेरणादायक बताया।

स्कूल प्राचार्य ने आदित्य के प्रयासों की सराहना की:

स्कूल के प्राचार्य आशीष पांडे ने आदित्य के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनका आना छात्रों के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि आदिवासी बाहुल्य इलाके के छात्र भी बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं

इस कार्यक्रम ने छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझने और इस दिशा में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया।

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