कोरिया। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और युवतियों को स्वरोजगार से जोडऩे और सामाजिक व आर्थिक रूप से उन्हें सशक्त बनाने के लिए कोरिया जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों के सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। ग्राम स्तर पर कृषि कार्य को आजीविका का प्रमुख स्त्रोत मानते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के समांतर संवहनीय कृषि परियोजना का क्रियान्वयन ग्राम स्तर पर किया जा रहा है, जहां कृषि सखी एवं पशु सखी के रूप में स्वसहायता समूह की दीदी सुनीता और गौरी टूल बैंक और एनपीएम शॉप के संचालन आय प्राप्त करने में सक्षम हुई हैं। साथ ही महिलाओं को जैविक कृषि के गुर भी सीखा रही हैं। गांव में कार्यरत महिला समूहों के निरंतर प्रोत्साहन के नतीजतन 100 से भी अधिक महिला किसान इस परियोजना से जुड़कर लगातार सफलता की नई कहानियां गढ़ रही हैं।
कोरिया जिले के विकासखण्ड मनेन्द्रगढ़ के ग्राम सेंधा (मोरगा) में महिला स्व सहायता समूह की सदस्य दीदी गौरी और दीदी सुनीता कुर्रे का बिहान के तहत पशु सखी एवं कृषि सखी के रूप में चयन का गया और इन्हें प्रशिक्षण दिया। सुनीता और गौरी राज्य व जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए बताती हैं कि बिहान से जुड़कर उन्हें आजीविका का साधन मिला। कृषि सखी एवं पशु सखी के रूप में प्रशिक्षण के बाद हमने गांव की अन्य महिलाओं को जैविक कृषि, खाद निर्माण एवं कीटनाशक के निर्माण हेतु प्रोत्साहित किया।
वे बताती हैं कि संवहनी कृषि परियोजना गतिविधियों के क्रियान्वयन में सहयोग देते हुए हमें परियोजना द्वारा स्थापित टूल बैंक और एनपीएम शॉप से वार्षिक राशि 30 से 40 हजार तक प्राप्त हो जाते हैं। इसके अलावा वे सिलाई के कार्य से भी अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर रही हैं। वे बतौर कृषि सखी एवं पशु सखी महिला किसानों को जैविक खेती के फायदे बताती हैं कि किस प्रकार से जैविक खेती कर गुणकारी एवं स्वास्थ्यर्वधक फसलें उगाकर स्वयं एवं अपने परिवार के स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रख सकते हैं और कम लागत में अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हैं। इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक तरीके जैसे मचान विधि, श्रीविधि रोपा, सूर्या मॉडल बाड़ी लगाकर एवं उसमें जैविक खाद एवं दवाई का उपयोग करा कर महिला किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
गांव के किसान जुड़कर नई तकनीकों से कर रहे कृषि
बिहान के तहत इस पहल से महिलाओं को रोजगार तो मिल रहा है, इसके साथ ही जैविक खाद के उपयोग से रासायनिक खादों से होने वाले नुकसान भी कम हो रहे हैं। वर्तमान में गांव के कुल 88 किसान प्राथमिकता के साथ संवहनी कृषि परियोजना गतिविधियों का क्रियान्वयन कर रहे हैं। इसके अंतर्गत प्रमुख रूप से जैविक खाद बनाने का कार्य किया जा रहा है। गाँव में 50 से ज्यादा नाडेप, 12 अजोला टैंक, 10 वर्मी टांके और 45 भू नाडेप है। जैविक कीटनाशक में निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, आग्नेयास्त्र, खट्टा म_ा, दश पर्णी आदि बनाये जा रहे हैं। 12 से ज्यादा किसानों ने मचान विधि से सब्जी एवं 24 किसानों ने श्रीविधि के माध्यम से धान लगाया भी है। यहां विभिन्न प्रकार की जैविक खादें जैसे – वर्मी खाद, गोबर खाद, नाडेप खाद, घनाजीवोमृत खाद एवं द्रवजीवामृत खाद का उपयोग किया जाता है। इस महत्वाकांक्षी योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के स्व सहायता समूह की महिलाएं स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुई है। साथ ही सीएमएसए गतिविधियों को अपनाकर परियोजना को आगे ले जा रही हैं और नित नए कृषि सुधारों को अपनाकर अपना आर्थिक विकास कर रही हैं।

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