नई शिक्षा नीति के अनुरूप स्कूली पाठ्यक्रम में आ रहा है क्रांतिकारी बदलाव
रायपुर, 12 अगस्त 2024 – छत्तीसगढ़ राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू किया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की दूरदर्शी पहल पर, राज्य में नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
कार्यशाला की मुख्य विशेषताएँ:
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के अनुसार पाठ्यपुस्तक तैयार करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य बन गया है।
- एनसीईआरटी और एससीईआरटी के विशेषज्ञ दे रहे हैं प्रशिक्षण।
- कक्षा पहली से तीसरी एवं छठवीं के लिए नई पाठ्यपुस्तकों का निर्माण।
- स्थानीय भाषा और संस्कृति को दिया जा रहा है विशेष महत्व।
स्थानीयता और आधुनिकता का संगम
स्कूल शिक्षा सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने इस अवसर पर कहा, “हमारा लक्ष्य है कि फाउंडेशनल स्टेज के विद्यार्थियों को उनकी स्थानीय भाषा में शिक्षा मिले। साथ ही, पाठ्यपुस्तकों में प्रैक्टिकल दृष्टिकोण को भी शामिल किया जाएगा।” उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ वर्तमान में 20 भाषाओं में काम कर रहा है, जो राज्य की भाषाई विविधता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय मान्यता
एनसीईआरटी नई दिल्ली की पाठ्यचर्या विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रंजना अरोरा ने वर्चुअल संबोधन में छत्तीसगढ़ की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी के साथ मिलकर राज्य के स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तक निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ की है।”
मातृभाषा का महत्व
पद्मश्री जागेश्वर यादव ने इस अवसर पर मातृभाषा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होने से बच्चे इसे आसानी से समझ व सीख सकेंगे। यह हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने में भी मदद करेगा।”
भविष्य की ओर कदम
इस कार्यशाला में एनसीईआरटी और एससीईआरटी के विषय विशेषज्ञों के साथ-साथ राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिक्षाविद् भी शामिल हुए। यह पहल न केवल छत्तीसगढ़ के छात्रों के लिए एक नए युग की शुरुआत है, बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकती है।
इस तरह, छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मानदंड स्थापित कर रहा है, जो स्थानीय संस्कृति और वैश्विक ज्ञान के बीच एक सुंदर संतुलन बनाता है।