मनेंद्रगढ़ जिला में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कलेक्टर कार्यालय परिसर में वन महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। ‘‘एक पेड़ मां के नाम‘‘ अभियान के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और मियावाकी पद्धति से पौधारोपण कर वन महोत्सव का शुभारंभ किया।
मियावाकी पद्धति से हरियाली की नई पहल
स्वास्थ्य मंत्री ने अपने संबोधन में मियावाकी पद्धति की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज बड़े-बड़े महानगरों में इस पद्धति को अपनाया जा रहा है। एक-एक मीटर की दूरी पर सघन वृक्षारोपण से घने वन तैयार होते हैं जो हमें शुद्ध हवा प्रदान करते हैं। यह पद्धति 30 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड और वायु व ध्वनि प्रदूषण को सोखने में सक्षम है। उन्होंने मनेंद्रगढ़ को अर्बन हीट आईलैंड बनने से रोकने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण का आह्वान किया।
गुरु घासीदास तमोर पिंगला : जिले को अनमोल तोहफा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा गुरु घासीदास तमोर पिंगला के रूप में जिले को मिले बड़े उपहार का जिक्र करते हुए, मंत्री ने बताया कि यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, महतारी वंदन के हितग्राहियों और स्कूली बच्चों से पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करने का आग्रह किया।
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान: जिलेवासियों से सहयोग की अपील
केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘‘एक पेड़ मां के नाम‘‘ अभियान को सफल बनाने के लिए मंत्री ने जिलेवासियों से सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने वनक्षेत्र के अलावा आंगनबाड़ी, पुलिस चौकी, उद्यान, अस्पताल, शमशान, शासकीय परिसर, छात्रावास, स्कूल परिसरों आदि स्थानों पर भी पौधारोपण करने पर जोर दिया।
मियावाकी पद्धति : मिनी फॉरेस्ट का सृजन
वनमण्डलाधिकारी मनीष कश्यप ने मियावाकी पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस जापानी तकनीक के माध्यम से घरों के आसपास खाली पड़े स्थानों को छोटे बगानों या जंगलों में बदला जा सकता है। इससे मनेंद्रगढ़ जिले में मिनी फॉरेस्ट बनाकर हीट वेव से बचाव किया जा सकता है।