छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: हाईकोर्ट ने कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया, BJP ने घेरा
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: हाईकोर्ट ने कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया, BJP ने घेरा

रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में हुए कथित 2 हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस को फिर से घेरा है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव और सांसद विजय बघेल ने आज कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में संयुक्त प्रेसवार्ता कर इस मामले पर अपनी बात रखी।

किरण देव ने कहा, “भूपेश सरकार के कार्यकाल में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। कांग्रेस सरकार में संगठित होकर व्यापक पैमाने में शराब घोटाला किया गया है। ED-EOW ने जब इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की, तो कांग्रेस ने काफी हंगामा मचाया। अनवर ढेबर और अनिल टूटेजा ने सिंडीकेट बनाकर शराब नीति बदली और घोटाला किया गया। इसके अलावा अवैध कमाई के लिए शराब नीति भी बदली गई और 2161 करोड़ का घोटाला किया गया।”

उच्च न्यायालय के फैसले से बीजेपी के आरोप हुए सही

विपक्ष ने जो आरोप लगाए थे, उच्च न्यायालय के फैसले में वो आज सच साबित हुए हैं। शराब घोटाले को लेकर की गई EOW और ACB की अब तक की कार्रवाई में किसी प्रकार कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है। इस जांच के खिलाफ लगाई गई याचिका को भी खारिज कर दिया गया है।

किरण देव ने कहा, “कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास नहीं करती इसलिए समय-समय पर उन पर सवाल उठाती रहती है। शराब घोटाले पर पिछले दिनों आए उच्च न्यायालय बिलासपुर के एक महत्वपूर्ण फैसले में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार द्वारा किए घोटाले की कलई एक बार और खोल दी है। इस फ़ैसले से भाजपा द्वारा इन अपराधियों के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोपों की एक बार फिर से पुष्टि हुई है।

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उच्च न्यायालय ने खारिज की आरोपियों की याचिकाएं

बिलासपुर उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में छह याचिकाएं ईडी के खिलाफ जबकि सात याचिकाएं ईओडब्ल्यू व एसीबी के खिलाफ दायर की गई थी। याचिकाओं में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में ईडी की पुनः की जा रही कार्रवाई और ईओडब्ल्यू-एसीबी की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए उन्हें ख़ारिज करने की मांग की थी।

किरण देव ने कहा, “कोर्ट ने अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, यश टुटेजा, अरूणपति समेत अन्य आरोपियों द्वारा जांच एजेंसियों के खिलाफ दायर कुल 13 याचिकाओं को एक साथ ख़ारिज कर दिया है। अपने आदेश में माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि एक संगठित अपराध की तरह इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था ऐसा लग रहा है। न्यायालय ने ईडी, एसीबी, ईओडब्लू आदि की जांच आदि के काम में किसी भी तरह की अनियमितता के तमाम आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। इससे यह एक बार फिर यह साबित हुआ है कि कांग्रेस अपने अपराधों को छिपाने के लिए लगातार एजेंसियों पर हमलावर थी। न्यायालय ने साफ-साफ यह कहा है कि ईडी, ईओडबलू और एसीबी ने अपने-अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार ही अलग-अलग कार्रवाईयां की है इस पर अभियुक्तों द्वारा लगाए सभी आरोपों को ख़ारिज करते हुए, एफआईआर/ईसीआइआर रद्द करने के सभी मांगों को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ का किया लूट: किरण देव

किरण देव ने कहा, “इससे अधिक पुख्ता और क्या-क्या साक्ष्य चाहिए यह साबित करने के लिए कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने अपने सिपहसलारों के माध्यम से जमकर न केवल छत्तीसगढ़ को लूटा बल्कि पूरी कांग्रेस सरकार एक अंडरवर्ल्ड और माफिया जैसा चल रही थी। एक मोटे आकलन के अनुसार पचास हज़ार करोड़ से अधिक का घोटाला अपने पांच सालों के शासन में कांग्रेस ने किया है। इसका सरगना निस्संदेह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे, जिन्हें एजेंसियों ने पोलिटिकल मास्टर कहा है। प्रदेश की जनता के संसाधनों को लूट कर दस जनपथ का एटीएम बन जाने की सजा कांग्रेस को अवश्य मिलेगी, कोई भी हथकंडा कांग्रेसी अपराधियों को बचा नहीं सकती है। लाख अराजकता फैला ले कांग्रेस, किंतु क़ानून के हाथ इनके शिकंजे तक पहुंचे बिना नहीं रहेगी। जनता को न्याय दिलाने, उनके संसाधनों को लूटने वालों को जेल के सीखचों के पीछे पहुंचने से जॉर्ज सोरोस या राहुल गांधी समेत दुनिया को कोई ताकत उन्हें रोक नहीं सकती।

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न्यायालय के आदेश में महत्वपूर्ण बातें

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “संबंधित एफआईआर के अवलोकन से, यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा नहीं किया गया है। इसके अलावा, जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि अभियुक्तों/याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए अपराधों की प्रकृति से राज्य के खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है और अपराध की अनुमानित आय लगभग रु 2161 करोड़। एफआईआर में नौकरशाहों, राजनेताओं, व्यापारियों और अन्य व्यक्तियों सहित 70 नामित व्यक्ति हैं और वर्तमान में यह एक संगठित अपराध का मामला है जिसे जांच एजेंसियों द्वारा तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत है। राज्य पुलिस प्रतिवादी राज्य/एसीबी ईओडब्ल्यू या ईडी की कोई भी कार्रवाई पीएमएलए के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन या सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं पाई गई है।”

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