Cg High Court
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बिलासपुर: अनुकंपा नियुक्ति को लेकर हाई कोर्ट ने तीन अलग-अलग याचिकाओं को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि परिवार के मुखिया की मौत के बाद परिवार के सामने आने वाला आर्थिक संकट या गरीबी अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए तय बुनियादी मापदंड हैं।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इसके अलावा अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार के तौर पर दावा नहीं किया जा सकता।

तीनों मामलों में क्या हुआ?

केस 1:रामाधार तिवारी की पत्नी ने पति की मौत के बाद छोटे बेटे दीनानाथ तिवारी को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग करते हुए याचिका लगाई थी। रामाधार पुलिस विभाग में सहायक उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे। उनकी मौत 20 अगस्त 2007 को सेवा के दौरान हुई थी।

  • दीनानाथ के बड़े भाई केदारनाथ शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के पद पर कार्यरत थे।
  • इस आधार पर 2012 में दीनानाथ का आवेदन खारिज कर दिया गया था।
  • कोर्ट ने सुनवाई के बाद इस याचिका को खारिज कर दिया।
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केस 2:यश मिश्रा को पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। उनकी माँ सुनीता मिश्रा व्याख्याता थीं।

2018 में यश की माँ के सरकारी नौकरी में रहने के आधार पर उसे सेवामुक्त कर दिया गया।

यश का कहना था कि पिता की मौत के दौरान वह भिलाई में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। पिता के इलाज में पूरी रकम खर्च हो गई थी।

कोर्ट ने सुनवाई के बाद इस याचिका को भी खारिज कर दिया।

केस 3:सुमन के पिता राममूर्ति शर्मा ग्रामीण स्वास्थ्य संगठक के पद पर कार्यरत थे। जून 2019 में उनकी मौत हो गई।

सुमन ने जुलाई 2019 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था।

सुमन के भाई रमन शर्मा कांकेर के गवर्नमेंट स्कूल में शिक्षाकर्मी वर्ग-1 के पद पर कार्यरत थे।

इस आधार पर सुमन का आवेदन खारिज कर दिया गया था।

कोर्ट ने सुनवाई के बाद इस याचिका को भी खारिज कर दिया।

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हाई कोर्ट का यह फैसला अनुकंपा नियुक्ति के दावेदारों के लिए महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुकंपा नियुक्ति अधिकार नहीं है, बल्कि विशेष परिस्थितियों में दी जाने वाली राहत है।

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