छत्तीसगढ़: स्वास्थ्य विभाग में रीएजेंट खरीद में बड़ा घोटाला, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी जांच के दायरे से बाहर?
छत्तीसगढ़: स्वास्थ्य विभाग में रीएजेंट खरीद में बड़ा घोटाला, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी जांच के दायरे से बाहर?

रायपुर: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में रीएजेंट खरीद में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में मोक्षित कॉर्पोरेशन द्वारा राज्य के कोष का दुरुपयोग किया गया है।

विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी पर सवाल: जिस कमेटी ने रीएजेंट खरीद के लिए प्रस्ताव दिया था, उस कमेटी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही इसे जांच के दायरे में रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग की इस कमेटी पर मेहरबानी को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

IMA का आरोप: IMA के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि “खरीद के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी बनाई जाती है। यह कमेटी तय करती है कि कितनी खरीद करनी है, कितनी आवश्यकता है। प्रदेश में जो रीएजेंट की खरीद हुई है, इसके लिए प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। ज़िलों से डिमांड मंगाया जाता था, वो नहीं मंगाया गया है। राज्य से डिमांड बनाकर खरीद की गई है। खरीद कमेटी के विशेषज्ञ डॉक्टर उतने ही ज़िम्मेदार है, जितने और दूसरे लोग।”

जांच कमेटी के दायरे से बाहर क्यों?: सात विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी ने लगभग 400 करोड़ रुपये के लिए रीएजेंट खरीदने का प्रस्ताव दिया था। उनके प्रस्ताव पर ही खरीद हुई, लेकिन फिर कमेटी जांच के दायरे में क्यों नहीं है?

इसे भी पढ़ें  मुख्यमंत्री ने दिव्यांग भाई-बहनों को आगे बढ़ाने सकारात्मक वातावरण बनाने की अपील

राज्य स्तरीय खरीद का नहीं था प्रावधान: छत्तीसगढ़ में रीएजेंट खरीदने का अधिकार ज़िलों को दिया गया था। लेकिन पहली बार ज़िलों से बिना प्रस्ताव मांगे राज्य स्तरीय डिमांड दिया गया था।

स्वास्थ्य मंत्री का बयान: स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि “समग्र जांच के निर्देश दिए गए हैं। अगर जांच के दायरे से यह बिंदु भी बाहर है, तो हम इस बिंदु को जांच में शामिल कराएंगे। अभी जांच प्रक्रियाधीन है, इसलिए इसमें ज़्यादा नहीं बोल सकता।”

विशेषज्ञ डॉक्टरों की ज़िम्मेदारी: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “स्वास्थ्य विभाग में जब भी दवा, कैमिकल, मशीनों की खरीद होती है, इसके पहले विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बनाकर उनसे प्रस्ताव लिया जाता है। उनके प्रस्ताव के आधार पर ही खरीद होती है। अगर इसमें गड़बड़ी है तो बिल्कुल विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ज़िम्मेदार होगी।”

मोक्षित कॉर्पोरेशन द्वारा रीएजेंट की खरीद: स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, मोक्षित कॉर्पोरेशन अपने और कई अलग-अलग नामों से टेंडर लेकर स्वास्थ्य विभाग में सप्लाई का काम करता है। जांच में पता चला है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आउटर में उरला, भनपुरी, बिरगांव, मंदिरहसौद और अभनपुर स्थित सीएससी-पीएससी में हार्ट, लीवर, पेंक्रियाज, अमोनिया लेवल और हार्ट अटैक की जांच करने वाला रीएजेंट सप्लाई किया गया है, जबकि इनकी जांच पीएससी में होती ही नहीं है।

इसे भी पढ़ें  श्री जगदेव राम उरांव जी के जीवन ‘‘हमारे जगदेव राम जी’’ पुस्तक का विमोचन

बड़ा सवाल: इतना ही नहीं जहां ये सप्लाई किया गया है, वहां जांच करने वाले जरूरी उपकरण और मशीनें ही उपलब्ध नहीं हैं। अब सवाल यह है कि यदि उपकरण ही नहीं है तो रीएजेंट क्यों सप्लाई की गई? कई शासकीय अस्पताल तो ऐसे भी हैं, जहां करोड़ों रुपये के रीएजेंट केवल खपाने के चक्कर में डंप करवा दिए गए हैं।

रीएजेंट की अनावश्यक खरीद: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लीवर फंक्शन टेस्ट केवल सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर लिखते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एडिनोसिन डीएम इमेज रीएजेंट भेज दिया गया है। यह रीएजेंट लीवर फंक्शन की जांच के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन इस जांच की सुविधा भी आउटर या शहर के किसी भी छोटे हेल्थ सेंटर में नहीं है।

आईसीयू में होती है जांच: स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, एलडीएलबी लीवर फंक्शन की जांच केवल आईसीयू में की जाती है। इसके बावजूद, सीरम लिपेस रीएजेंट भी बड़े पैमाने पर सप्लाई कर दिया गया है। इसी तरह, मैग्नीशियम सीरम की जांच भी केवल आईसीयू में भर्ती मरीजों के लिए पड़ती है। इसे भी छोटे अस्पतालों में सप्लाई कर खपा दिया गया है।

इसे भी पढ़ें  छत्तीसगढ़: सेवानिवृत्त IAS अधिकारी को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा!

विशेषज्ञों की राय: स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों और जानकारों से इस बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि कुछ जांच ऐसी होती है जो केवल सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर करवाते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रारंभिक जांच में किसी तरह की गड़बड़ी निकलने पर छोटे सेंटरों से मरीजों को सुपर स्पेशलिटी अंबेडकर अस्पताल रिफर किया जाता है। सुपर स्पेशलिटी या अंबेडकर अस्पताल में ही जांच के लिए उपकरण और मशीनें हैं।

अनावश्यक रीएजेंट सप्लाई: डाक्टर के जरूरत के हिसाब से पेट, हार्ट, लीवर, किडनी से संबंधित बड़ी जांच करवाते हैं। हैरानी की बात है कि छोटे हेल्थ सेंटरों में एमबीबीएस डाक्टर पदस्थ किए गए हैं। ये डाक्टर ब्लड शुगर, हीमोग्लोबीन जैसी सामान्य जांच ही करवाते हैं।

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *