बस्तर के जंगल में गिद्धों के लिए खुलेंगे "रेस्टोरेंट"
बस्तर के जंगल में गिद्धों के लिए खुलेंगे "रेस्टोरेंट"

जगदलपुर – बस्तर के हरे-भरे जंगलों में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व गिद्धों के लिए कभी एक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल था। हालांकि, समय के साथ, गिद्धों की संख्या तेजी से घट रही है और अब वे केवल रिजर्व के कोर क्षेत्र के आसपास सीमित हो गए हैं।

इंद्रावती टाइगर रिजर्व के अधिकारी गिद्धों की घटती संख्या को लेकर चिंतित हैं और उनके संरक्षण के लिए एक अनोखा प्रयास शुरू करने जा रहे हैं – गिद्धों के लिए “रेस्टोरेंट” खोलना!

कैसे होगा गिद्धों के लिए “रेस्टोरेंट”?

इंद्रावती टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव के तहत, रिजर्व के अंदर 20 जगहों पर गिद्धों के लिए भोजन स्थलों की स्थापना की जाएगी।

इन “रेस्टोरेंट” में गिद्धों को नियमित रूप से भोजन उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उनकी संख्या में वृद्धि हो सके और उनका संरक्षण किया जा सके।

क्या गिद्धों के लिए “रेस्टोरेंट” काम करेंगे?

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अधिकारियों का मानना ​​है कि पिछले तीन वर्षों में रिजर्व में गिद्धों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2021 में 55 गिद्ध थे जो अब बढ़कर 200 से अधिक हो गए हैं। इस वृद्धि को और बढ़ावा देने के लिए जियो टैगिंग का उपयोग किया जाएगा जिससे गिद्धों की वास्तविक संख्या का पता लगाया जा सकेगा।

क्या गिद्धों के लिए “रेस्टोरेंट” खोलना काफी है?

गिद्धों के संरक्षण के लिए “रेस्टोरेंट” खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह केवल एक प्रयास है। गिद्धों की संख्या में कमी का मुख्य कारण मवेशियों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली जहरीली दवाएं हैं।

इसलिए, रिजर्व के अधिकारियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा विभाग और “गिद्ध मित्र” की सहायता से मवेशियों का उपचार जड़ी-बूटियों से करने का फैसला लिया है। इससे मृत पशुओं के शरीर में जहरीले तत्व नहीं रहेंगे और गिद्धों को सुरक्षित भोजन प्राप्त होगा।

गिद्धों की तीन प्रजातियों को मिल रही है सुरक्षा

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इन प्रयासों से इंद्रावती क्षेत्र में इंडियन गिद्ध, व्हाइट-रंप्ड गिद्ध और अब ग्रिफॉन गिद्ध भी देखे जाने लगे हैं। विभाग को उम्मीद है कि इन 20 नए “रेस्टोरेंट” के शुरू होने से गिद्धों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी और इससे उनके संरक्षण की योजना को एक नई दिशा मिलेगी।

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