छत्तीसगढ़ में मिला प्राचीन वन क्षेत्र, डायनासोर युग की वनस्पतियाँ मिलीं!
छत्तीसगढ़ में मिला प्राचीन वन क्षेत्र, डायनासोर युग की वनस्पतियाँ मिलीं!

छत्तीसगढ़ वन विभाग ने हाल ही में एक ऐसी खोज की है, जिसने राज्य की जैव विविधता को एक नया आयाम दिया है। दंतेवाड़ा वन मंडल के बचेली वन परिक्षेत्र में स्थित एक विशेष वन क्षेत्र की खोज की गई है जो बीजापुर के गंगालूर वन परिक्षेत्र तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में कई प्राचीन वनस्पतियों की प्रजातियाँ पाई गई हैं, जो छत्तीसगढ़ की असाधारण जैव विविधता को प्रदर्शित करती हैं।

एक अनोखा पारिस्थितिक तंत्र

यह वन क्षेत्र समुद्र तल से 1,240 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है और सबट्रॉपिकल ब्रॉड-लीव्ड हिल फॉरेस्ट (फॉरेस्ट टाइप 8) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचाई वाला वन क्षेत्र हो सकता है, क्योंकि राज्य में मुख्य रूप से मॉइस्ट एंड ड्राय डेसिड्युअस फॉरेस्ट्स (फॉरेस्ट टाइप 3 एंड 5) पाए जाते हैं। यह ब्रॉड-लीव्ड हिल फॉरेस्ट छत्तीसगढ़ के पारिस्थितिक तंत्र में एक नया आयाम प्रस्तुत करता है।

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इस क्षेत्र की वनस्पति पश्चिमी घाट की वनस्पतियों से काफी हद तक मेल खाती है। कांगेर घाटी के जंगलों की तरह, यह क्षेत्र भी विभिन्न प्रकार की प्रजातियों से समृद्ध है। मानवजनित दबाव की कमी होने कारण इन प्रजातियों को बिना किसी बाधा के पनपने में मदद मिली है।

एक ’जीवित संग्रहालय’

विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र को एक ’जीवित संग्रहालय’ माना है क्योंकि यहां कई प्राचीन पौधों की प्रजातियां संरक्षित हैं, जो संभवतः प्रागैतिहासिक काल, यहां तक कि डायनासोर युग से संबंधित हो सकती हैं। यहां पाई गई कुछ वनस्पतियों की प्रजातियों को छत्तीसगढ़ में पहली बार दर्ज किया गया है।

खोज और अनुसंधान

इस विशेष वन का तीन दिवसीय सर्वेक्षण अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास एवं योजना) अरुण कुमार पांडे, आईएफएस के नेतृत्व में किया गया था। सर्वे दल में पर्यावरणविदों और वन अधिकारियों के साथ-साथ आईएफएस परिवीक्षाधीन अधिकारी एस. नवीन कुमार और वेंकटेशा एम.जी. भी शामिल थे।

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इस सर्वेक्षण के दौरान, टीम ने दुर्लभ और प्राचीन वनस्पतियों की कई प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें ऐल्सोफिला स्पिनुलोसा (ट्री फर्न), ग्नेटम स्कैंडन्स, ज़िज़िफस रूगोसस, एंटाडा रहीडी, विभिन्न रुबस प्रजातियाँ, कैंथियम डाइकोकूम, ओक्ना ऑब्टुसाटा, विटेक्स ल्यूकोजाइलन, डिलेनिया पेंटागाइना, माचरेन्जा साइनेंसिस, और फिकस कॉर्डिफोलिया शामिल हैं। इनमें से माचरेन्जा साइनेंसिस प्रजाति संभवतः छत्तीसगढ़ के केवल इसी वनीय पहाड़ी क्षेत्र में पाई गई है।

राज्य सरकार का समर्थन

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस क्षेत्र की जैव विविधता को संरक्षित करने और वन अनुसंधान को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इस खोज से राज्य को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी। सरकार इस क्षेत्र में शोध और अध्ययन के लिए विशेष प्रोत्साहन देगी, ताकि इन दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित रखा जा सके।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, आईएफएस ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री और वन मंत्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ वन विभाग राज्य की समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत रहा है। बचेली का यह विशेष वन क्षेत्र राज्य वन विभाग की जैव विविधता के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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भविष्य के लिए संभावनाएं

बचेली का यह विशेष वन भविष्य के अनुसंधान एवं इको-टूरिज्म के विकास के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएं प्रस्तुत करता है। वन विभाग इस क्षेत्र की छिपी हुई जैव विविधता को और गहराई से समझने के लिए अधिक विस्तृत सर्वेक्षण करने की योजना बना रहा है।