प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान: देश के आदिवासी समुदायों के लिए एक नया युग
प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान: देश के आदिवासी समुदायों के लिए एक नया युग

देश के आदिवासी बहुल गांवों में रहने वाले जनजातीय परिवारों के जीवन में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 2 अक्टूबर को झारखंड से प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान की शुरुआत की जाएगी, जो धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के नाम से भी जाना जाता है। इस अभियान का लक्ष्य आदिवासी समुदायों के समग्र विकास को सुनिश्चित करना है, जिसमे उनके जीवन के सभी पहलुओं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल हैं।

यह योजना देश के 63,000 जनजातीय बहुल गांवों में लागू की जाएगी और इसके लिए 79,156 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इस योजना को केन्द्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से चलाया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में अभियान का महत्व

छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या निवास करती है। इस अभियान के क्रियान्वयन के लिए राज्य के 32 जिलों के 138 विकासखण्डों में स्थित 6691 आदिवासी बहुल गांवों का चयन किया गया है।

इसे भी पढ़ें  रायगढ़: ट्रक चालकों ने 540 लीटर डीजल और सामान चुराकर बेच दिया, पुलिस ने किया गिरफ्तार!

इस अभियान का उद्देश्य इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना, सामाजिक और आर्थिक उन्नति लाना, और आदिवासी समुदायों को देश की मुख्य धारा से जोड़ना है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस महत्वाकांक्षी मिशन के क्रियान्वयन के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

प्रधानमंत्री का कार्यक्रम

2 अक्टूबर को झारखंड के हजारीबाग में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी इस योजना का शुभारंभ करेंगे। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की लखपति दीदी मानकुंवर बाई और उनके परिवारजन इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जी से मुलाकात करेंगे।

मोदी जी बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के राजपुर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम को वर्चुअली सम्बोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सहित अन्य अतिथिगण शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान का उद्देश्य

प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान का लक्ष्य भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका में महत्वपूर्ण अंतराल को भरना और पीएम जनमन की सीख और सफलता के आधार पर जनजातीय क्षेत्रों एवं समुदायों का समग्र और सतत विकास सुनिश्चित करना है।

इसे भी पढ़ें  दंतेवाड़ा: सीआईएसएफ ने नक्सलियों द्वारा लगाया गया 3 किलो का प्रेशर आइईडी निष्क्रिय किया, बड़ा हादसा टला!

अभियान के प्रमुख पहलू

  • बुनियादी ढांचे का विकास: योजना के तहत पात्र आदिवासी परिवारों को पीएमएवाई (ग्रामीण) के तहत नल के पानी और बिजली आपूर्ति की उपलब्धता के साथ पक्के आवास मिलेंगे। इन्हें आयुष्मान भारत कार्ड से भी जोड़ा जाएगा। जनजाति बहुल गांवों के लिए सभी मौसम में बेहतर सड़क संपर्क के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कों का निर्माण कराया जाएगा। भारत नेट परियोजना के अंतर्गत मोबाइल कनेक्टिविटी और इंटरनेट की सुविधा पहुचाई जाएगी। स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा में सुधार के लिए बुनियादी ढांचा सुनिश्चित किया जाएगा।
  • आर्थिक सशक्तिकरण: जनजाति समुदाय के छात्र-छात्राओं को हर साल 10वीं-12वीं कक्षा के बाद दीर्घकालिक कौशल पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा, जनजातीय बहुउद्देशीय विपणन केंद्र के माध्यम से विपणन सहायता, पर्यटक गृह प्रवास, एफआरए पट्टा धारकों को कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य: स्कूल और उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ाना और जिला, ब्लॉक स्तर पर स्कूलों में जनजातीय छात्रावासों की स्थापना करके जनजातीय छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को मिशन के तहत सुलभ बनाया जाएगा। जनजातीय परिवारों की गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना, शिशु मृत्यु दर, मातृत्व मृत्यु दर में राष्ट्रीय मानकों को हासिल करना और उन स्थानों, जहां स्वास्थ्य उपकेंद्र मैदानी क्षेत्रों में 10 किमी से अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में 5 किमी से अधिक दूरी पर है, वहां मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से टीकाकरण की सुविधा दी जाएगी।
इसे भी पढ़ें  मेडिकल एडमिशन 2024: छत्तीसगढ़ में MBBS और BDS के लिए नए नियम और प्रक्रिया

यह अभियान भारत के आदिवासी समुदायों के जीवन में एक क्रांति लाने वाला है। यह न केवल उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार लाएगा, बल्कि उन्हें देश की मुख्य धारा से जोड़कर उनके समावेशी विकास को सुनिश्चित करेगा।