रायपुर रेलवे स्टेशन पर एक अनोखा नजारा देखने को मिल रहा है। एक तरफ, समता एक्सप्रेस के स्लीपर से लेकर एसी कोच तक, यात्रियों की भीड़ उमड़ रही है। वहीं दूसरी तरफ, 16 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन आधे से भी अधिक सीटें खाली लेकर चल रही है। ये स्थिति वापसी यात्रा में भी बनी हुई है।
दुर्ग-विशाखापट्टनम वंदे भारत ट्रेन में 1128 सीटें हैं, लेकिन रोजाना औसतन 150 से 170 यात्री ही सफर कर रहे हैं। कई यात्रियों का कहना है कि वंदे भारत का किराया समता एक्सप्रेस से काफी ज्यादा है। जिस वजह से लोग इसकी बजाय समता एक्सप्रेस में यात्रा करना पसंद कर रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर, रायपुर से विशाखापट्टनम जाने का वंदे भारत का किराया लगभग 1500 रुपये है, वहीं समता एक्सप्रेस में ये किराया 600 से 800 रुपये के बीच है। ऐसे में, यात्री किफायती विकल्प चुन रहे हैं।
दिलचस्प बात ये है कि वंदे भारत ट्रेन के आने के बाद भी समता एक्सप्रेस में यात्रियों की संख्या में कोई कमी नहीं आई। इसका मतलब है कि यात्रियों को वंदे भारत में उपलब्ध सुविधाओं से ज्यादा किराये का भुगतान करने में झिझक है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि वो वंदे भारत ट्रेन में यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं।
इस घटना से ये बात साफ होती है कि यात्रियों की पसंद और उनके बजट का रेलवे टिकट बुकिंग पर काफी असर पड़ता है। रेलवे को इस बात को ध्यान में रखकर टिकटों की कीमतों और सुविधाओं का बेहतर संतुलन बनाना होगा।