छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, टूटेजा, ढेबर पर कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, टूटेजा, ढेबर पर कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी

छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय बना शराब घोटाला, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी अनिल टूटेजा, रायपुर के महापौर के भाई अनवर ढेबर और दो अन्य लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और हाई कोर्ट का आदेश

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले को खारिज कर दिया था। लेकिन, हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में चल रही आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने का आदेश दिया।

कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए गवाहों के बयान, जो उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ साझा किए गए थे, जांच और अभियोजन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का वैध आधार हो सकते हैं।

क्या है शराब घोटाला और आरोप?

इस मामले में अनिल टूटेजा, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास पर आरोप है कि उन्होंने 2,200 करोड़ रुपये के शराब सिंडिकेट का संचालन किया था, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में सक्रिय था। इस घोटाले में टेंडर प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हुईं, खासकर एक नोएडा स्थित कंपनी से जुड़े मामलों में, जिसने छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग को होलोग्राम्स की आपूर्ति की थी।

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ये होलोग्राम्स शराब की बोतलों पर लगने वाले आबकारी शुल्क की ट्रैकिंग के लिए अहम थे।

कानूनी लड़ाई जारी

अनिल टूटेजा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडी की अभियोजन शिकायत को खारिज करने के बाद इस आपराधिक मामले को भी रद्द कर दिया जाना चाहिए।

हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीके गिरी ने सफलतापूर्वक यह दलील दी कि उत्तर प्रदेश में दर्ज एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल), और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत संज्ञेय अपराधों को दर्शाती है।

अदालत ने माना कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और जांच को जारी रखने के लिए पर्याप्त आधार हैं। इस फैसले के साथ, सभी आरोपियों, जिनमें अनवर ढेबर भी शामिल हैं, के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी।