छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस पर बने दो नये कीर्तिमान
छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस पर बने दो नये कीर्तिमान

रायपुर । विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आज छत्तीसगढ़ में दो नए कीर्तिमान स्थापित हुए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर देश में पहली बार शहरी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों और टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र के गांवों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता पत्रों के वितरण की शुरूआत हुई।

मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उदंती-सीतानदी टायगर रिजर्व के कोर क्षेत्र के गांव करही की वन अधिकार समिति के अध्यक्ष श्री नथलू राम मरकाम, ग्राम जोरातरई के अध्यक्ष श्री बिरबल पदमाकर और ग्राम मासुलखोई की वन अधिकार समिति के अध्यक्ष श्री हिम्मत सिंह नेताम को समुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रदान किए।

इसके साथ ही उदंती-सीतानदी टायगर रिजर्व के कोर क्षेत्र की बरोली और बहीगांव की ग्रामसभाओं को भी समुदायिक वन संसाधन अधिकार के मान्यता पत्र दिए गए। इन्हें मिलाकर कोर क्षेत्र के 5 गांवों की ग्राम सभाओं को 14,000 एकड़ जंगल पर आज सामुदायिक वन संसाधन का अधिकार दिया गया। इसी तरह देश में पहली बार प्रदेश के शहरों में रहने वाले आदिवासी समुदाय को वहां के जंगलों पर अधिकार देने की शुरूआत आज धमतरी जिले की नगर पंचायत नगरी से की गई।

यह नगर पंचायत तीन गांवों से मिलकर बनी थी- चुरियारा, तुमबाहरा और नगरी, जहां इन तीनों को आज कुल 10 हजार 200 एकड़ जंगल पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिए गए हैं। इसके साथ ही आज छत्तीसगढ़ के कुल 700 गांवों को समुदायिक वन संसाधन का अधिकार सौंपा गया।

इनमें से अकेले सूरजपुर के 150 गांव और कांकेर जिले के 143 गांव शामिल हैं। इसके अलावा कार्यक्रम में विभिन्न शहरी क्षेत्र में 9 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र भी दिए गए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इसके पहले बूढ़ादेव और मां दन्तेश्वरी की पूजा-अर्चना की और शहीद वीरनारायण सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, आदिमजाति विकास मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, वनमंत्री श्री मोहम्मद अकबर, संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री राजेश तिवारी, संसदीय सचिव श्री द्वारिकाधीश यादव, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी, आदिम जाति विकास विभाग के सचिव श्री डीडी सिंह और आदिम जाति विकास विभाग की आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी इस अवसर पर उपस्थित थीं।

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नगरी से आए लोक नर्तकों मांदरी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री ने नर्तक दल में शामिल होकर उनका उत्साह बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि जल-जंगल-जमीन सहित हर तरह के स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय समुदायों का अधिकार सुनिश्चत करना और उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य सरकार आदिवासी समुदायों के सांस्कृतिक विकास के साथ-साथ उनके सामाजिक, आर्थिक विकास की दिशा में लगातार कदम उठा रही है।

पिछले ढाई वर्षों में किए गए प्रयासों से आज आदिवासी क्षेत्रों में स्वावलंबन की नयी बयार बह रही है। आज का दिन राज्य की करीब 31 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या के स्वाभिमान, गौरव, संस्कृति और सपनों से जुड़ा हुआ है। हमारे लिए विश्व आदिवासी दिवस एक बड़ा त्यौहार है, इसीलिए इस दिन सरकारी छुट्टी दी गई है, ताकि आदिवासी भाइयों का पूरा परिवार मिलकर इस त्यौहार में शामिल हो सके। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण वन क्षेत्रों के चारागाहों और जलाशयों से लेकर वनोपजों तक आदिवासी समुदायों के अधिकारों का दायरा बढ़ा है। वे अब ज्यादा आसानी से खेती,पशुपालन, मत्स्य पालन, लाख उत्पादन, वनोपज संग्रहण करते हुए जीवन यापन कर रहे हैं।

वन भूमि पर खेती कर रहे आदिवासियों को अब आम किसानों की तरह शासन की योजनाओं और सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।     मुख्यमंत्री ने कहा कि हम विश्वास, विकास और सुरक्षा के मूलमंत्र के साथ लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों, किसानों के हित में लागू की गई योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लोहांडीगुड़ा क्षेत्र के इस्पात संयंत्र के लिए भू-विस्थापित किसानों की 4200 एकड़ जमीन वापसी का निर्णय लेकर हमने आदिवासी समुदायों तक न्याय पहुंचाने की शुरुआत की। इसी तरह वन अधिकार कानून को प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है।

अब तक 04 लाख 41 हजार से ज्यादा व्यक्तिगत-पट्टे तथा 46 हजार से ज्यादा सामुदायिक-पट्टे वितरित किए जा चुके हैं। राज्य में पहली बार ग्राम सभाओं को वन संसाधन का अधिकार भी प्राप्त हुआ है।     मुख्यमंत्री ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, गौठान कार्यक्रम, लाख उत्पादन और मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा, तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर बढ़ाकर 4000 रूपए करने, तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए शहीद महेंद्र कर्मा सामाजिक सुरक्षा योजना, समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़कर अब 52 करने और उनका स्थानीय स्तर पर ही वेल्यूएडीशन करने, कोदो-कुटकी जैसी लघु धान्य फसलों का समर्थन मूल्य तय करने, आदि योजनाओं का उल्लेख किया।     

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हर गांव को डॉक्टर और शिक्षक की सेवाएं उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में मलेरिया उन्मूलन और कुपोषण में कमी लाने में बड़ी सफलता मिली है। इन कार्यक्रमों की सराहना नीति आयोग और यूएनडीपी ने भी की है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से राज्य में अब तक 01 लाख 40 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं। इसी तरह 80 हजार से अधिक महिलाओं को एनीमिया से मुक्ति मिली है। दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों तक मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना से चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाई जा रही है। अब तक आदिवासी क्षेत्रों के 11 लाख ग्रामीणों को लाभ हुआ है।     

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल भी शुरु किए गए हैं, जहां गरीब से गरीब विद्यार्थी भी निःशुल्क उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त कर सकता है। बस्तर संभाग के नक्सल पीड़ित क्षेत्रों में बंद पड़े सैकड़ों स्कूलों को दोबारा शुरु करने में सफलता मिली है। वर्षों से खाली पड़े शिक्षकों के पदों पर अब सीधी भर्ती की जा रही है। आदिवासी क्षेत्रों में छात्रावासों को भी सर्व सुविधायुक्त बनाते हुए वहां सौर ऊर्जा से विद्युत व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी अंचलों के बच्चे भी आईआईटी और मेडिकल के साथ ही उद्यमिता के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।    

उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति के संरक्षण तथा संवर्धन के लिए देवगुड़ियों तथा घोटुलों का विकास तथा सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। रामवन गमन पथ परियोजना के तहत कोरिया से लेकर सुकमा तक पहले चरण में नौ पर्यटन केन्द्रों का विकास किया जा रहा है। आदिवासी संस्कृति के वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही राज्य में अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव की शुरुआत की गई। पिछले आयोजन में 25 राज्य के साथ 6 देशों के नृत्य दलों ने भाग लिया था।     

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मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति पर अमल करते हुए शासन ने नक्सल पीड़ित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। इसी दिशा में पहल करते हुए 944 आदिवासियों के खिलाफ दर्ज 718 प्रकरण वापस लिए गए हैं। स्थानीय विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकरणों में अब मुख्यमंत्री के स्थान पर विधायकों को ही अध्यक्ष बनाया गया है।

सरगुजा और बस्तर संभाग में शासकीय नौकरियों में स्थानीय लोगों की नियुक्ति प्राथमिकता के साथ करने के लिए कनिष्ठ चयन बोर्ड का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि बस्तर के औद्योगिक विकास के बिना बस्तर के सर्वांगीण विकास की कल्पना संभव नहीं है। सरकार ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया है। बस्तर में छोटे-छोटे अनेक स्टील प्लांटों की स्थापना की जा रही है, जिससे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।     आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां ग्राम सभा वन संसाधन के अधिकार दिए जा रहे हैं।

उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों से एकजुट होने और राज्य शासन की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आव्हान किया। वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि देश में सर्वाधिक वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी छत्तीसगढ़ में की गई है। ट्रायफेड द्वारा इसके लिए छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय पुरस्कार दिए गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी।

वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में शामिल उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल, राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, संसदीय सचिव डॉ. लक्ष्मी धु्रव, श्री शिशुपाल सोरी, श्रीमती अंबिका सिंह देव, विधायक श्री गुलाब कमरो, श्री चंदन कश्यप, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री लखेश्वर बघेल सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने सभी को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी।