Mahadev Ghat is situated on the banks of river Kharun, 5 km from Raipur. It is a highly revered temple of the Hindus and is known as Lord Shiva. Hatakeshwar Mahadev Temple was built in 1402 by Hajraj Naik during the reign of Brahmadev Rai, son of Kalachuri king Ramachandra. Brahmadev Rai memorial in Sanskrit.
महादेव घाट में ही विवेकानंद आश्रम के संस्थापक स्वामी आत्मानंद (1929-1981) की समाधि भी स्थित है।
हनुमान मंदिर समेत 50 से अधिक मंदिर
वर्तमान में खारुन नदी के तट के आसपास 50 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर बन गए हैं। सबसे खास आकर्षण संगमरमर से निर्मित हनुमान मंदिर है। इस मंदिर में मां दुर्गा का अवतार जीण माता, राधा-कृष्ण, सीता-राम दरबार भी है।
कलचुरी राजा ने बनवाया मंदिर
कालांतर में कलचुरी राजाओं ने इस क्षेत्र को अपनी राजधानी बनाया। कलचुरी राजा रामचंद्र के बेटे ब्रह्मदेव राय के शासनकाल के दौरान महादेव मंदिर का निर्माण हजराज नाइक ने विक्रम संवत 1458 अर्थात 1402 ई. में हटकेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया था।
ग्रामीणों में मान्यता
ग्रामीणों में मान्यता है कि भगवान श्रीराम के वन गमन के दौरान शिवलिंग की स्थापना हुई थी। शिवलिंग की स्थापना लक्ष्मणजी के हाथों हुई थी। कहा जाता है कि स्थापना के लिए हनुमानजी अपने कंधे पर शिवजी को लेकर आए। बाद में ब्राह्मण देवता को आमंत्रण करने गए तब तक देर हो गई। इधर लक्ष्मणजी देरी होने से क्रोधित हो रहे थे, क्योंकि स्थापना के समय में देर हो गई थी। जहां स्थापना की योजना बनाई थी, वहां न करके स्थापना के समय को देखते हुए खारुन नदी के तट पर ही स्थापना की।
हरकी पौड़ी की तरह अस्थियों का विसर्जन
छत्तीसगढ़ के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए नदी किनारे पिंडदान करने आते हैं। यहां स्थित श्मशानघाट पर दाह संस्कार के बाद अस्थियों का विसर्जन उसी तरह किया जाता है जैसा हरिद्वार के हरकी पौड़ी में करने की मान्यता है।