यूनिक लैंड पार्सल आईडेंटिफिकेशन नंबर (यूएलपीआईएन) योजना के द्वारा अब जिला, तहसील, राजस्व निरीक्षक मंडल एवं ग्राम का चयन किए बिना ही सीधे भूखंड की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। पूर्व में भूखंड की पहचान जिला, तहसील, राजस्व निरीक्षक मंडल और ग्राम के कॉम्बिनेशन से प्राप्त खसरा नंबर से होती थी। इस योजना का वर्चुअल विधिवत उद्घाटन राजस्व सचिव छत्तीसगढ़ सुश्री रीता शांडिल्य सचिव श्री अजय तिर्की और अतिरिक्त सचिव श्री हुकुम सिंह मीणा, भूमि संसाधन ग्रामीण विकास मंत्रालय केन्द्र सरकार की उपस्थिति में 23 जून को किया गया। इस योजना के शुभारंभ के लिए कबीरधाम जिले के ग्राम अगरीकला का चयन किया गया है।
यूनिक लैंड पार्सल आईडेंटिफिकेशन नंबर योजना के संबंध में बताया गया कि प्रत्येक भूखंड के जियो-रिफरेंस लैट्टियूड या लांगिट्यूड कोर्डिनेंट्स के आधार पर कम्यूटरीकृत 14 अंकों का यूनिक आईडी ऑटोजनरेट होता है। प्रत्येक भूखंड को यूएलपीआईएन नंबर दिए जाने से भूखंड से संबंधित समस्त जानकारी एक ही नंबर से प्राप्त की जा सकेगी। जियो रिफरेंस के साथ प्रत्येक भूखंड के यूएलपीआईएन नंबर दिए जाने से भूखंड की वास्तविक स्थिति आसानी से उपलब्ध होगी। इसकी सहायता से भूमि संबंधी महत्वपूर्ण विभागीय कार्यों का निष्पादन पारदर्शिता के साथ सफलतापूर्वक किया जा सकेगा। यूएलपीआईएन नंबर से शासकीय भूमि की पहचान सरलापूर्वक की जा सकती है, जिससे शासकीय भूमि पर अवैध तरीके से होने वाले पंजीयन अथवा अतिक्रमण को रोका जा सकता है। अन्य विभागों जैसे-पंचायत, पंजीयन, वन, सर्वे, नगर निगम इत्यादि द्वारा भूमि संबंधी जानकारी प्राप्त कर विभिन्न विभागीय कार्यों का निष्पादन करना लाभप्रद होगा। सर्वे के बाद प्राप्त भूखंड नक्शों को गूगल मैप पर प्रतिस्थापित करने पर भूखंड की सीमा की वास्तविक स्थिति प्रदर्शित होती है।
कार्यक्रम में संचालक भू-अभिलेख श्री भुवनेश यादव, संयुक्त आयुक्त श्रीमती हिना अनिमेष नेताम, राज्य सूचना अधिकारी श्री अशोक कुमार होता, वरिष्ठ तकनीकी डायरेक्टर श्री वाय.वी.एस. श्रीनिवासराव, प्रणाली विशेषज्ञ श्री अमित कुमार देवांगन एवं सहायक प्रोग्रामर श्री लक्ष्मीकांत साहू उपस्थित थे।