दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केन्द्र पिछले कई वर्षों से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति को सुधारने और जीवन बेहतर बनाने का संकल्प ले कर कार्य कर रही है. राज्यपाल अनुसुईया उइके आज दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केन्द्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ‘नक्सल प्रभावित जिलों में महिलाओं की स्थिति’ विषय पर प्रतिवेदन का विमोचन किया। उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि समाज के लिए वही काम करता है, जिनके मन में दीनदुखियों के लिए संवेदना होती है। यही भावना उन्हें समाज सेवा करने के लिए प्रेरित करती है।
राज्यपाल ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट शासन के लिए बड़े उपयोगी होते हैं और साथ ही जनकल्याणकारी नीतियां बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं। इस रिपोर्ट को भी मैं राष्ट्रपति और राज्य शासन के समक्ष रखुंगी। यह रिपोर्ट महिलाओं की स्थिति पर तैयार की गई है। इससे महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिति की जानकारी मिलेगी। राज्यपाल ने कहा कि जब वह राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य थीं तो उन्होंने आदिवासी महिलाओं की स्थिति पर एक सर्वे कराया था। उस रिपोर्ट को मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी तब उसके बाद आदिवासी महिलाओं की सशक्तिकरण संबंधी नीति बनाई गई।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय महिला समन्वय की समन्वयक गीता ताई ने कहा कि इस रिपोर्ट में एक-एक तथ्य जुटाने में काफी मेहनत की गई है। जब सर्वे के लिए महिलाओं से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि वे अपने स्वयं के बारे में कुछ कह रही हैं। जिन महिलाओं के संबंध में यह सर्वे किया गया उन्हें तो अच्छा लगा ही, साथ ही जिनके ऊपर इस सर्वे को करने की जिम्मेदारी थी, उनके लिए भी एक अच्छा अनुभव था। इस अवसर पर डॉ. मिताली मित्रा ने दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केन्द्र द्वारा तैयार की गई ‘नक्सल प्रभावित जिलों में महिलाओं की स्थिति’ विषय पर प्रतिवेदन और डॉ. शिल्पा पौराणिक ने भारत में महिलाओं की स्थिति संबंधित प्रतिवेदन की जानकारी दी।
कार्यक्रम में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केशरीलाल वर्मा, राष्ट्रीय महिला आयोग की सलाहकार सदस्य हर्षिता पाण्डेय, छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे, अखिल भारतीय महिला समन्वय छत्तीसगढ़ प्रांत की महिला सहसमन्वयक शताब्दी पाण्डेय एवं बिसराराम यादव सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।