छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में ACB की सख्त कार्रवाई का नतीजा सामने आया है! समाज कल्याण विभाग के एक शिक्षक नारायण सिंह सिदार को रिश्वतखोरी के जुर्म में 4 साल की सजा सुनाई गई है। यह घटना 4 साल पहले 2018 में हुई थी जब शिक्षक ने मंदबुद्धि विद्यालय में मेस के संचालन के लिए एक युवक से 30 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।
मामला क्या है?
2018 में, अंचल विश्वकर्मा, जो समाज कल्याण के भवनों की मरम्मत का काम करते थे, ने मंदबुद्धि विद्यालय में प्रशिक्षित शिक्षक नारायण सिंह सिदार से परिचय किया था। अंचल ने बताया कि नारायण सिंह सिदार ने उन्हें सामर्थ्य विकास दिव्यांग छात्रावास में मेस चलाने के लिए आवेदन देने के लिए कहा था।
रिश्वत का खेल
जब अंचल ने आवेदन दिया, तो कई दिनों तक उनका आवेदन प्रोसेस में बताया गया। 31 अगस्त 2018 को नारायण सिंह सिदार ने अंचल से कहा कि मेस संचालन की अनुमति देने के लिए 30 हजार रुपये रिश्वत देने होंगे। जब अंचल ने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं, तो दोनों के बीच 20 हजार रुपये में सौदा तय हो गया।
ACB की कार्रवाई
अंचल विश्वकर्मा ने 7 सितंबर 2018 को एसीबी में इसकी शिकायत दर्ज कराई। ACB ने रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर शिक्षक को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई। 20 सितंबर 2018 को, अंचल ने नारायण सिंह को जिला पंचायत के पास रिश्वत की रकम दी और ACB की टीम ने नारायण सिंह सिदार को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया!
सजा
रिश्वत लेते पकड़े गए नारायण सिंह सिदार को दो माह 5 दिन के बाद जमानत मिल गई थी। ACB ने मामला विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया था। अतिरिक्त लोक अभियोजक राकेश सिन्हा ने बताया कि विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ममता पटेल की अदालत ने नारायण सिंह को रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत 4 साल के कारावास और 5 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।
यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत है! ACB की इस कार्रवाई से सभी सरकारी अधिकारियों को संदेश जाता है कि रिश्वतखोरी की कोई जगह नहीं है और ऐसा करने वालों को सजा मिलेगी।