रायगढ़ में चक्रधर समारोह में जीवंत हुई असम की लोक संस्कृति
रायगढ़ में चक्रधर समारोह में जीवंत हुई असम की लोक संस्कृति

रायगढ़: रायगढ़ में आयोजित चक्रधर समारोह में असम की लोक संस्कृति ने रंग बिखेरे। मेझांकोरी मेघ मोल्लार संस्थान के कलाकारों ने मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। असम की इंद्रधनुषी संस्कृति की छटा देखकर दर्शक अपने आप को असम की दुनिया में खोए हुए पाते रहे।

मेझांकोरी मेघ मोल्लार: यह एक सांस्कृतिक संगठन है जिसकी स्थापना 2016 में मणाशी दत्ता और सत्याेजीत बोरपट्रागो ने की थी। इस संगठन का लक्ष्य असम की लोक संस्कृति को संरक्षित करना और इसे दुनिया के सामने लाना है।

संस्कृति का प्रसार: मेझांकोरी मेघ मोल्लार ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से असम की सामाजिक-जातीय विविधता को दुनिया के सामने पेश किया है। उनका मानना है कि असम सिर्फ़ आंखों के सामने की सुंदरता से कहीं ज्यादा है।

युवा कलाकारों की टीम: मेझांकोरी मेघ मोल्लार ने युवा कलाकारों की एक कुशल टीम बनाई है जो असमिया लोक संस्कृति को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए प्रदर्शन करते हैं। यह संस्थान कई कलाकारों को प्रशिक्षित भी करता है, जिन्होंने इस क्षेत्र में नाम और प्रसिद्धि हासिल की है।

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विविध प्रदर्शन: मेझांकोरी मेघ मोल्लार ने असम में 400 से अधिक स्टेज शो किए हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी को अपनी लोक संस्कृति से जोड़ने के लिए कई कार्यशालाओं, विशिष्ट सत्रों और अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन किया है।

असमिया लोक संस्कृति का प्रदर्शन: रायगढ़ में चक्रधर समारोह में, मेझांकोरी मेघ मोल्लार की 19 सदस्यीय टीम ने असमिया लोक संस्कृति का प्रदर्शन किया जिसमें सत्रिया नृत्य, बिहू, मिसिंग, राभा, करबी, देवरी आदि शामिल थे। उनके प्रदर्शन को दर्शकों का बहुत प्यार मिला।

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