बैगानी भाषा सम्मेलन: बैगा जनजाति की संस्कृति, इतिहास और जीवन शैली पर प्रकाश डाला गया
बैगानी भाषा सम्मेलन: बैगा जनजाति की संस्कृति, इतिहास और जीवन शैली पर प्रकाश डाला गया

रायपुर में रविशंकर विवि में 23 और 24 अगस्त को आयोजित बैगानी भाषा सम्मेलन में बैगा जनजाति के इतिहास, संस्कृति, खानपान, जीवनशैली पर विस्तृत चर्चा हुई। यह सम्मेलन साहित्य अकादमी नई दिल्ली और रविवि की ओर से आयोजित किया गया था।

सम्मेलन के प्रमुख बिंदु

  • सम्मेलन के तृतीय सत्र में बैगा जनजाति और जीवन शैली पर चर्चा की गई।
  • धर्मेंद्र पारे ने कहा कि बैगा जनजाति औषधिय ज्ञान के संरक्षक हैं।
  • दुलार योताम कल्लू ने बैगाओं के पारिवारिक गीत पर अपना वक्तव्य रखा।
  • लहरी बाई ने बैगा जनजाति के खान-पान पर प्रकाश डाला।
  • जेहर सिंह ओदरिया ने बैगा जनजाति के संस्कारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
  • सम्मेलन के चतुर्थ सत्र में बैगा संस्कृति पर चर्चा हुई।
  • राकेश चंदेल ने बैगा संस्कृति के इतिहास पर अपना वक्तव्य दिया।
  • साधु राम जमोरिया ने बैगा मान्यताएं और वेशभूषा के बारे में जानकारी साझा की।
  • गोपी कृष्ण सोनी ने बैगा पर्व और त्यौहार पर महत्वपूर्ण जानकारी दी।
  • सम्मेलन के पंचम सत्र में बैगानी लोक साहित्य पर चर्चा हुई।
  • विजय चौरसिया ने बैगानी के वाचिक महाकाव्य पर वक्तव्य दिया।
  • दयाराम राठुडिया ने बैगा लोकगीत पर वक्तव्य दिया और लोकगीत भी प्रस्तुत किए।
  • स्वाति आनंद ने बैगा जनजाति का समीक्षात्मक रेखा चित्र प्रस्तुत किया।
  • सम्मेलन के छठवें सत्र में बैगा जनजाति के गोदना कला और लोक कला पर चर्चा हुई।
  • झामलाल रसिया ने बैगा जनजाति के गोदना कला पर अपना वक्तव्य रखा, जिसमें गोदना के स्वास्थ्य से संबंध होने की जानकारी दी गई।
  • लाखनलाल ओदरिया ने बैगा लोक कला पर विस्तार से वक्तव्य दिया।
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समापन

  • कार्यक्रम के समापन पर उप सचिव साहित्य अकादेमी एन. सुरेश बाबू ने भाषा, साहित्य और संस्कृति के महत्व और मानवीय जीवन में इसकी उपयोगिता को रेखांकित किया।
  • समापन समूह बैगा नृत्य के साथ हुआ, जो बैगा जनजाति के अतिथियों द्वारा प्रस्तुत किया गया।

उपस्थिति

  • कार्यक्रम में साहित्य एवं भाषा अध्ययन शाला के अध्यक्ष प्रो.शैल शर्मा, डॉ. गिरजा शंकर गौतम, डॉ. स्मिता शर्मा, प्राध्यापकगण, विश्विद्यालय के अन्य अध्ययन शालाओं के प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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